________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप्याय्य (वि.) [आप्य+- ण्यत् | सन्तुष्ट होने के योग्य, / 3 / 20126 / सम० - वचनम् संबोधन अर्थ में प्रयक्त प्रसन्न होने के योग्य / शब्द, - विभक्तिः संबोधन अर्थ को प्रकट करने आप्रवण (वि०) [ आ++ल्युट ] ईषत्प्रवण, कुछ। वाली विभक्ति। शालीन, थोड़ा शिष्ट / | आमन्त्रितम् (नपुं०) [आमन्त्र + क्त ] 1. सम्बोधित आप्लुत (वि०) [ आप्लु+क्त ] ग्रहणग्रस्त-अदाङमुखमथो | करना 2. संलाप 3. संबोधन की विभक्ति / / दीनं दृष्ट्वा सोममिवाप्लुतम् - रा० 7.106 / 1 / आमालकः (पुं०) पहाड़ी स्थान / आप्लष्ट (वि०) [ आप्लुप् + क्त ] ईषदग्ध, झुलसा हुआ| आमिषार्थी (वि.) [अम् टिषच दीघंश्च तमयति इनि] -दिवाकराप्लुष्टविभूषणास्पदाम् -कु० 5 / 48 / मांस चाहनेवा ला, मांस के लिए निवेदन करने आफलकः [ आ+फल+कन् ] घेरा, बाड़ा वार्याफलक- वाला। पर्यन्तां पिबन्निक्षमती नदीम् - रा० 1170 / 3 / आमुकुलित (वि.) [आमुकुल+इतन्] थोड़ा सा खुला आफोनम् (नपं०) अफीम। हुआ। आबद्धमण्डल / (वि०) [न० व.] गोलाकार चक्र बनाने | आमुक्तम् [आमुच् + क्त] कवच / आबद्धवलय वाला। आमुपः (पुं०) कांटेदार बांस / आबन्धुर (वि०) [ आबन्ध + उरच ] थोड़ा गहरा। आमोगः (पु०) कवि की रचना की अंतिम पंक्ति जिसमें आबालम् (अ०) बच्चे तक, बच्चे से लेकर। सम० ___ कवि का नाम बताया गया हो यत्रव कविनामस्यात्स गोपालम (अ०) बच्चों और ग्वालों समेत, आमोग इतीरितः-संगीत दामोदर / -वृद्धम् (अ०) बच्चों से लेकर बढों तक / आम्रः [अमगत्यादिषु नदीर्घश्च] आम का वृक्ष / सम. आब्रह्म (अ०) ब्रह्म तक / --अस्थि आम की गुठली, आम का बीज,---पञ्चमः आभडम (नपुं०) किसी मति की झकी हई मद्रा। संगीत का एक विशेष राग, - फलप्रयाणकम आमों के आभात (वि.) [आभा-- क्त ] 1. चमकीला, देदीप्यमान रस से तैयार किया हुआ एक शीतल पेय / 2. प्रतीयमान / आम्लपञ्चकम् [आम्लपञ्च+कन्] इमली आदि पांच आभासः | आभास्+घञ ] 1. मूर्ति डालने के नौ पदार्थों | | (बेर, अनार, करौंदा, इमली और कमरक) फलों के में से एक 2. एक प्रकार का भवन 3. पूजा की एक रस से तैयार किया गया एक आयुर्वेदिक पदार्थ / अप्रामाणिक रीति विधर्मः परधर्मश्च आभास उपमा | आयः [आ++अच, अय घड वा] आमदनी का स्रोत छल:, अधर्मशाखाः पञ्चेमा धर्मज्ञोऽधर्मवत्त्यजेत् ---मार्गत्यायशतैरान-महा० 13116315 / सम० - भाग० 7 / 15 / 12 / दशिन् (वि.) राजस्व-समाहर्ता,-मुखम् राजस्व आभास्वरः (पुं०) निम्नांकित बारह विषषों का एक संग्रह के रूप कौ० अ०२।६, शरीरम् आय का शरीर तु०-आत्मा ज्ञाता दमो दान्तः शान्तिर्ज्ञानं शमस्तपः, -- को० अ०२।६। कामः क्रोधो मदो मोहो द्वादशा भास्वरा इमे-तारा० | आययापुर्यम्,-पूर्व्यम् (नपुं०) ऐसी स्थिति या अवस्था आभिप्रायिक (वि.) [अभिप्राय |-ठक् ] ऐच्छिक, का होना जैसी पहले नहीं थी। इच्छानुगामी। आयत (वि०) [आयम्+क्त] सुप्त, सोया हुआ,-तं आभिमन्यवः [ अभिमन्यु : अण् ] अभिमन्यु का पुत्र, नायतं बोधयदित्याहुः - 60 4 / 3 / 16 / परीक्षित। आयतिः (स्त्री०) [आ+या+उति] वंश परंपरा, वंशआभियोगिक (वि.) [ अभियोग+ठक् ] दक्षता से किया विवरण पीढ़ी-द्रक्ष्यन्ति समरे योधा शलभानामिवायती: गया, चतुराई से युक्त। - महा० 7 / 159 / 71 / आभूत (वि.) [आ-+9+क्त ] 1. उपजाया हुआ, पैदा | आयस्तम् [जा+यस्+क्त] महान् प्रयत्न, शक्ति का किया हुआ - भाग० 3 / 26 / 6 2. भरा पूरा, स्थिर विस्तार न मे गर्वितमायस्तं सहिष्यति दुरात्मवान् ----आभूतात्मा मुनिः-भाग० 4 / 8 / 56 / ---- रा० 4 / 16 / 9 / आभ्यागारिक (वि.) [ अभ्यागार+ठक् ] घर में रखने आयानम् [आ+या+ल्युट घोड़े का आभूषण / के योग्य / आयुष्यमन्त्रः (पुं०) ऋग्वेद का मन्त्र जो "यो ब्रह्माब्रह्मण आH (वि.) [ अभ+ अण् ] अभरक से निर्मित चन्द्रा- उज्जहार.." से आरंभ होता है। भमानं तिलक दधाना---०६।६२ / आयुष्यहोमः [आयुः प्रयोजनमस्य यत्, ह+मन] यज्ञ विशेष आमपेशाः [ रा त कसची अवस्था में पीमा गया अन / जिसके अनुष्ठान से मनुष्य दीर्घजीवी हो सकता है। आमन्त्रित (वि.) [आ+गन्+क्त ] मन्त्र बोल कर ! आयोजमम् (अ०) एक योजन की दूरी तक। पवित्र किया गया - शराणामामन्त्रितानाम् - महा० / आयोषः (पुं०) अयोद का पुत्र मुनि धौम्य / For Private and Personal Use Only