________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1201 ) है। इसे प्राय: वारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ सुबन्धु वासवदत्ता का रचयिता। इसका उल्लेख बाण मानते हैं। विल्सन कहता है कि 1213 ई० में अपने ने किया है। अत: यह सातवीं शताब्दी के बाद का पिता कलश के पश्चात् श्रीहर्ष राजगद्दी पर बैठा। नहीं। इसने धर्मकीर्ति द्वारा लिखित बौद्धसंगति अत: रत्नावली नाटिका जो इस राजा द्वारा लिखित नामक एक रचना का उल्लेख किया है। यह पुस्तक मानी जाती है अवश्य अपने राज्य काल के अन्त में छठी शताब्दी में लिखी गई थी। 1113 से 1125 के मध्य लिखी गई होगी। परन्तु हर्ष बाण का अभिभावक / ऐसा समझा जाता है कि 'रत्नावली' को इसके पूर्व का ही मानना पड़ेगा क्योंकि रत्नावली नाटक बाण ने लिखा और अपने अभिदशरूपमें इसके अनेक उद्धरण उपलब्ध हैं। और भावक के नाम से प्रकाशित कराया। दशरूप दशवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में रचा गया। 151 For Private and Personal Use Only