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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट 2 संस्कृत के प्रसिद्ध लेखकों का काल आदि आर्यभद्र--एक प्रसिद्ध ज्योतिर्विद, जन्मकाल 476 ई०। बात का अभी पूरी तरह निर्णय नहीं हो पाया है। उजुट-अलंकारशास्त्र का एक प्राचीन लेखक। यह प्रचलित परंपरा के अनुसार वह विक्रम संवत् का जो काश्मीर के राजा जयापीड की राज्यसभा का मुख्य ईसा से 56 वर्ष पूर्व आरम्भ हआ, प्रवर्तक था। पंडित था। इसका काल 771 से 813 ई. तक है। यदि इस विचार को सही समझा जाय तो कालिदास करयट-पतंजलिकृत महाभाष्य पर भाष्यप्रदीप नामक निश्चय ही ईसा से पूर्व पहली शताब्दी में हुआ होगा। टीका का रचयिता। डाक्टर बुलर के मतानुसार परन्तु कुछ विद्वान् अभी इस परिणाम पर पहुंचे हे यह तेरहवीं शताब्दी से पूर्व नहीं हुआ था। कि जिसे हम विक्रम संवत् (ईसा से 56 वर्ष पूर्व) कल्हण -राजतरंगिणी नामक राजाओं के इतिहास की कहते हैं वह कोरूर के महायुद्ध के काल के आधार प्रसिद्ध पुस्तक का रचयिता। यह काश्मीर के राजा पर बना है। इस युद्ध में विक्रम ने 544 ई० में जयसिंह का, जिसने 1129 से 1150 ई० तक राज्य म्लेच्छों को पराजित किया था। और उस समय कियां, समकालीन था। 600 वर्ष पीछे ले जाकर (अर्थात् ईसा से 56 वर्ष पूर्व) इसका नामकरण किया। यदि यह मत यथार्थ कालिदास-अभिज्ञान शाकुन्तल, विक्रमोवंशीय, मालवि मान लिया जाय–विद्वान लोग अभी इस बात पर काग्निमित्र, रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत और ऋतु एकमत दिखाई नहीं देते-तो कालिदास छठी संहार का रचयिता। इसके अतिरिक्त 'नलोदय' तथा अन्य कई छोटे-छोटे काव्यों के रचयिता। शताब्दी में हुए हैं। अभी इस प्रश्न का पूरा समाकालिदास का सबसे पहला अधिकृत उल्लेख हमें धान नहीं हो सका है। 634 ई० (तदनुसार 556 शाके) के शिलालेख में क्षेमेन-काश्मीर का एक प्रसिद्ध कवि, समयमातका मिलता है / इसमें कालिदास और भारवि दोनों तथा कई अन्य पुस्तकों का रचयिता। यह ग्यारहवीं को प्रसिद्ध कवि बतलाया गया है। श्लोक यह है : शताब्दी के पूर्वार्ध में हुआ। येनायोजि न वेश्म, जगार -एक प्रसिद्ध टीकाकार। इसने मालतीमाधव स्थिरमर्थविधौ विवेकना जिनवेश्म / और वेणीसंहार पर टीकाएँ लिखीं। यह चौदहवीं स विजयतां रविकोति: शताब्दी के बाद हुआ। कविताश्रितकालिदासभारविकीतिः / / | जगन्नाथ पंडित -एक प्रसिद्ध आधुनिक लेखक / उसका हर्षचरित के आरंभ में बाण ने कालिदास का प्रसिद्ध ग्रन्थ रसगंगाधर है जिसमें 'काव्य' विषय का उल्लेख किया है। इससे प्रतीत होता है कि कालि- विवेचन है। उसकी अन्य कृतियाँ हैं-भामिनीदास बाण से पहले अर्थात सातवीं शताब्दी के पूर्वार्ष विलास, पांच लहरियाँ (गंगा, पीयूष, सुधा, अमृत,-- से पहले हुआ था। परन्तु सातवीं शताब्दी से कितना और करुणा) तथा कुछ अन्य छोटी रचनाएँ। ऐसा पूर्व -इस बात का अभी तक पता नहीं लग सका। माना जाता है कि यह दिल्ली के सम्राट शाहजहाँ के मेघदूत के चौदहवें श्लोक की व्याख्या करते हुए काल में हुआ। इसने जहांगीर के राज्य के अन्तिम मल्लिनाथ ने निचुल और दिङनाग को कालिदास दिन तथा 1658 ई० में दारा का अस्थायी राज्यका समकालीन बताया है। यदि मल्लिनाथ के इस सिंहासनारोहण देखा होगा। अतः इसका जन्म-और सुझाव को जिसकी सत्यता में पूरा-पूरा सन्देह है, कुछ नहीं तो कार्य काल तो अवश्य-१६२० तथा सही मान लिया जाय तो हमारा कवि कालिदास १६६०ई० के बीच में रहा होगा। भवश्य ही छठी शताब्दी के मध्य में रहा होगा। जयदेव-गीतगोविन्द नामक ललित गीतिकाव्य का प्रणेता। यही काल दिङ्नाग का माना जाता है। यह बंगाल के वीरभूमि जिले के किंदविल्व नामक एक बात और है, यदि इसका ठीक निर्णय हो गांव का निवासी था। कहा जाता है कि यह राजा जाय तो कवि के जन्मकाल का सही ज्ञान हो जाय / लक्ष्मणसेन के काल में हुआ जिसकी एकात्मता यह बात है कालिदास द्वारा अपने अभिभावक के रूप डाक्टर बहर ने बंगाल के वैद्य राजा से की है। इसका में विक्रम का उल्लेख। यह कौन सा विक्रम है, इस शिलालेख विक्रम संवत् 1173 अर्थात् 1116 ई० For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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