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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1164 ) देना जैसा कि 'कामहत' में 4. डाल देना, छोड़ देना, / याज्ञ० 3 / 262 2. प्रहार करना, आघात करना, -भर्त० 2177 5. हटाना, दूर करना, नष्ट करना, --तानेव सामर्षतया निजघ्नुः रघु० 7.44, मेघ० -अम्भोजिनीवननिवासविलासमेव हंसस्य हन्ति नितरां 7 / 27 3. जीतना, हराना-देवं निहत्य कुरु पौरुषमाकुपितो विधाता--भर्त० 2 / 48 6. जीतना, पछाड़ त्मशक्त्या -पंच० 113611. पीटना, (ढोल आदि) देना, पराजित करना, परास्त करना--विनैः सहस्र- बजाना, भट्टि०१४।२ 5. प्रतीकार करना, निष्फल गणितैरपि हन्यमानाः प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति करना, भग्नाश करना रघु० 12 / 92 6. (रोग -- सुभा० 7. विघ्न डालना, बाधा डालना 8. नष्ट आदि की) चिकित्सा करना 7. अवहेलना करना, करना, बिगाड़ना-कि० 2 / 37 1. उठाना- तुरग- 8. हटाना, दूर करना, कि० 5 / 36, परा--, खुरहतस्तथा हि रेणुः-- श० 1132 10. गुणा करना 1. जवाबी वार करना, प्रत्याघात करना, पछाड़ देना, (गणित में) 11. जाना (काव्य में इसका इस अर्थ पीछे धकेलना, निवारण करना, परास्त कर देना, में प्रयोग विरल है, और जब कभी प्रयुक्त होता है खदेड़ देना-देवं यत्पीरुपपराहतं --राम. 2. आक्रतो वह काव्य का एक दोष माना जाता है) उदा० मण करना, धावा बोलना कटाक्षपराहतं वदनपङ्क-- कुज हन्ति कृशोदरी-सा० द.७, या, तीर्थान्तरेषु जम् मा० 7 3. टक्कर मारना, प्रहार करना, स्नानेन समुपाजितसत्कृतिः। सुरस्रोतस्विनीमेष हन्ति प्र.. 1. वध करना, कतल करना, प्राघानिषत संप्रति सादरम्-काव्य० 7, (असमर्थत्व' दोप का रक्षांसि येनाप्तानि वने मम / न प्रहामः कथं पापं वद उदाहरण), अति---,अत्यन्त क्षतिग्रस्त करना, अन्तर पूर्वापकारिणम्-भट्टि० 9 / 102 2. प्रहार करना, बीच में प्रहार करना, अप , 1. हटाना, पीछे धके- पीटना, आधात करना - गदाप्रहततनुः 3. प्रहार लना, नष्ट करना, वध करना 2. दूर करना, हटाना करना, पीटना, (ढोल आदि) रघ० 19 / 15, मेघ० -न तु खलु तयोर्ज्ञाने शक्ति करोत्यपहन्ति वा 64, प्रणि-वध करना - भट्टि० 2 / 35, प्रति-, --उत्तर० 2 / 4, श० 47 3. आक्रमण करना, जबाबी वार करना, बदले में प्रहार करना (तं) बलात् ग्रहण करना, अभि--,1. प्रहार करना, आघात विध्यन्तमुद्धतस टा: प्रतिहन्तुमीपुः----रघु० 9 / 60, करना (आलं० से भी). पीटना---मा० 139, 2. हटाना, परे करना, रोकना, बिराध करना, मुक़ामालवि० 5 / 3 2. चोट पहुँचाना, क्षतिग्रस्त करना, वला करना--तोयस्येवाप्रतिहतरयः सैकत सेतुमोघः हत्या करना, नष्ट करना 3. प्रहार करना, पीटना -- उत्तर० 3 / 36, प्रतिहतविघ्ना: त्रियाः समवलोक्य (ढोल आदि) भग०-१११३ 4. आक्रान्त करना, ग्रस्त - श० 1113, मेघ० 20. कु० 2 / 48, विक्रम० 2 // कर लेना, परास्त करना, अब-, 1. प्रहार करना, 1 3. हटाना, खदेड़ना, ढकेलना 4. दूर करना, नष्ट मारना, वध करना 2. नष्ट करना, हटाना करना यद्यत् पापं प्रतिजहि जगन्नाथ नम्रस्य तन्मे 3. (अनाज की भांति) कुटना, आ--, 1. आघात -- मा० 123 5. प्रतीकार करना, उपचार करना, पहँचाना, प्रहार, करना, पीटना--कुट्टिममाजधान वि.---, 1. वध करना. क़तल करना, नष्ट करना, का०, कि० 7117 (आ० माना जाता है जब पीटा विध्वस्त करना, संहार करना (अलं) सहसा संहतिजाने वाला अपना ही कोई अंग हो-आहते शिरः मंहसां विहन्तुम्-- कि० 5 / 17. 2. प्रहार करना, जोर -सिद्धा०, परन्तु भारवि कहता है 'आजघ्ने विषम- से आघात करना 3. अवरोध करना, रुकावट डालना. विलोचनस्य वक्ष:--कि० 17463, भट्टि० 8 / 15, विरोध करना, मुकाबला करना---विघ्नन्ति रक्षांसि 5 / 102) रबु० 4123, 12177, कु० 4 / 25, 30, वने ऋतूश्च / भट्टि० 1119, रघु० 5 / 27 4. अस्वी2. प्रहार करना, (घंटी आदि) बजाना, (ढोल आदि) कार करना. इंकार करना. क्षय होना रघु० 2 / 58, पीटना,--भट्टि० 127. 1717, मेघ० 66, रघु० 1102 3. निराशा करना, हताश करना, सम्-, 17 / 11, उद् , 1. उठाना, उन्नत करना, ऊँचा 1. सटा कर मिलाना. आपस में जोड़ना हस्तौ संहत्य करना 2. फूलना, घमंडी होना, दे० उद्धत, उप , ----मनु० 2 / 71 दूत एव हि संधते भिनत्त्येव च 1. प्रहार करना, आघात करना 2. बरबाद करना संहतान .....7 / 66 दे० संहत' 2. ढेर लगाना. संग्रह क्षतिग्रस्त करना, नष्ट करना, वध करना- लङ्का चोप करना, संचय करना 3. संचित करना, सिकोड़ना हनिष्यते--भट्टि० 16 / 12, 5.12, भग० 3 / 24 | 4. संघर्ष होना 5. प्रहार करना. मार डालना, नष्ट 3. पीड़ित करना, ग्रस्त करना, परास्त करना, टप- करना, समा ,प्रहार करना आघात करना, क्षतिकना दारिद्रयोपहत, मलोपहत, कामोपहत आदि ग्रस्त करना। कु० 5176, भर्तृ० 2 / 26, नि , मार डालना, नष्ट हन् (दि.) [हन्-:-क्विप्] वध करने वाला, हत्या करने करना भट्टि० 2134, 6 / 10, रघु० 11171, / वाला, नष्ट करने वाला (ममाम के अन्त में प्रयुक्त) For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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