________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1160 ) षण, * मुखः 1. पत्र 2. ब्राह्मण 3. बन्दी, स्तुति पाठक, / स्वादिमन (पुं० [स्वाद+इमनिच् / सुस्वादुता,.माधुर्य / -वाचनम, वाचनकम, वाचनिकम् 1. यज्ञ या कोई | स्वादिष्ठ (वि.) [स्वादु-+-इप्ठन्, 'स्वादु' की उ० अ०] मांगलिक कार्य आरम्भ करते समय किया जाने वाला अत्यन्त मधुर, सबसे मीठा कि स्वादिष्ठं जगत्यस्मिन् एक धार्मिक कृत्य 2. फूलों द्वारा आशीर्वाद या बधाई सदा सद्धिः समागमः। देने का विशेष कर्म, * वाच्यम् बधाई, आशीर्वाद। / स्वादीयस् (वि.) [स्वादु+ईयसुन, 'स्वादु' की म० अ०] स्वस्तिकः [ स्वस्ति शुभाय हितं क ] 1. एक मंगल चिह्न | अपेक्षाकृत अधिक मोठा, बहुत मधुर-काव्यामृतरसा जो किसी शरीर या पदार्थ पर बनाया जाता है स्वादः स्वादीयानमतादपि / (ए) 2. कोई मंगलद्रव्य 3. चार मार्गों का मिलना | स्वादु (वि०) (स्त्री०-दु-द्वी) [स्वद् +उण, म० अ० 4. भजाओं को व्यत्यस्त रूप से छाती पर रखना स्वादीयस, उ० अ० स्वादिष्ठ ] 1. मधुर, सुहावना, जिससे कि एक व्यत्यस्त (x) चिह्न बने ... स्तन- चखने में अच्छा, जायकेदार, मजेदार, रुचिकर, मीठा विनिहितहस्तस्वस्तिकाभिर्वधूभिः - मा० 4 / 10, शि० -तृषा शुष्यत्यास्ये पिबति सलिलं स्वादु सुरभि 10 / 43 5. एक विशेष शक्ल का महल 6. चौराहे से -भर्तृ० 3 / 92, मेघ० 24 2. सुखद, रुचिकर, बना हुआ एक त्रिभुजाकार चिह्न 7. एक तरह का / सुन्दर, प्रिय, मनोहर (पुं०) मधुररस, स्वाद की पिष्टक 8. विषयी, व्यभिचारी 9. लहसुन, - कः, - कम् मिठास, मजा 2. शीरा, राब, (नपुं०) माधुर्य, मजा, 1. एक विशेष रूप का मन्दिर या भवन जिसके सामने रस --कविः करोति काव्यानि स्वादु जानाति पण्डितः चबूतरा बना हो 2. एक योगासन / -"सुभा०,--दृः (स्त्री०) अंगुर। सम०-- अन्नम् स्वतीयः, स्वस्रयः [ स्वस+छ, ढक् वा ] भानजा, बहन | मीठा या चुना हुआ भोजन, स्वादिष्ट खाद्य, पक्वान्न, का पुत्र। ---अम्लः अनार का पेड़,-खण्डः 1. किसी मीठी स्वनीया, स्वस्रयी [स्वस्रीय +टाप्, स्वस्रेय - डीप ] | चीज का टुकड़ा 2. गुड़, राब,---फलम् बेर, बदर, भानजी, बहन की पुत्री। ...मूलम् गाजर, रसा 1. द्राक्षा 2. शतावरी पौधा स्वागतम् [सु+आ+ गम्+क्त ] शुभागमन, सुखद 3. काकोली मूल 4. मदिरा 5. अंगूर, शुद्धम् 1. सेंधा अगवानी (मख्यतः संप्र० में रक्खे हए व्यक्ति को | नमक 2. समुद्री नमक। अभिवादन करने में प्रयुक्त) स्वागतं देव्यं / स्वाद्वी स्वादुडीप द्राक्षा, अंगूर / --मालवि० 1, (तस्मै) प्रीतः प्रीतिप्रमुखवचनं | स्वानः स्विन्---घा ध्वनि, कोलाहल / स्वागतं व्याजहार -मेघ०४, स्वागतं स्वानधीकारान स्वापः स्वप्+घा] 1. निद्रा, सोना उत्तर० 1137, प्रभावैरवलम्ब्य वः / युगपद् युगबाहुभ्यः प्राप्तेभ्यः 2. सुपना आना, स्वप्न 3. निद्रालुता, ऊंघना, आलस्य प्राज्यविक्रमाः -कु० 2 / 18 / 4. लकवा, कम्पवायु, सुत्र हो जाना 5. किसी एक स्वाडिकः [ स्वाङ्क+ठक ] ढोल बजाने वाला / नाड़ी पर दवाव से अस्थायी या आंशिक असंवेद्यता, स्वाच्छन्धम् [स्वच्छन्दस्य भावः ष्या ] अपनी इच्छा के जड़ता। अनुसार कार्य करने की शक्ति, स्वच्छंदता, स्वतन्त्रता | स्वापतेयम् स्विपतेरागतं ढा] धन, दौलत, सम्पत्ति-स्वा-कन्याप्रदानं स्वाच्छन्द्यादासुरो धर्म उच्यते मनु० पतेयकृते मा. कि कि नाम न कुर्वते पंच०२।१५६, 3 / 31 (स्वाच्छन्द्येन, स्वाच्छन्द्यतः जानबूझ कर, शि० 14 / 9 / स्वेच्छा से)। स्वापदः दे० 'श्वापद'। स्वातन्त्र्यम् [स्वतन्त्र+व्यञ] इच्छाशक्ति की स्वतन्त्रता, | स्वाभाविक (वि.) (स्त्री०-की) [स्वभावादागत:-ठन] स्वाधीनता,--न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति मनु० 9 // 3, न अपनी निजी प्रकृति से संबद्ध, अन्तर्जात, अन्तहित, स्वातन्त्र्यं क्वचित् स्त्रियाः याज्ञ० 1285 / / विशेष, प्राकृतिक --स्वाभाविक विनीतत्वं तेषां विनयस्वातिः, ती (स्त्री०) [ स्व-अत् +इन, पक्षे डी / कर्मणा / मुमूर्च्छ सहजं तेजो हविषेव हविर्भुजाम् 1. सूर्य की एक पत्नी 2. तलवार' 3. शुभ नक्षत्रपुंज रघु० 10179, 5 / 69, कु० 671, काः (पुं०, 4. पन्द्रहवां नक्षत्र जो शुभ माना गया है स्वात्यां व०व०) बौद्धों का एक सम्प्रदाय जो सभी वस्तुओं सागरशुक्तिसम्पुटगतं सन्मौक्तिक जायते-भर्त० 2 / 67 / को प्रकृति के नियमानुसार बनी मानते हैं। सम० योगः स्वाती का (चन्द्रमा के साथ) योग। | स्वामिता,-स्वम् [स्वामि---तल /-टाप, त्व वा मालिकस्वाद दे० 'स्वद्'। पना, प्रभुत्व, मिल्कियत के अधिकार 2. एकायत्तता, स्वादः, स्वावनम् [ स्वद् (स्वाद्)+घन, ल्युट्, वा ] प्रभुता / 1. मज़ा, रस 2. चखना, खाना, पीना 3. पसन्द स्वामिन (वि.) (स्त्री० -नी) [स्व-अस्त्यर्थे-मिनि, दीर्घः] करना, मजे लेना, उपभोग करना 4. मधुर करना / एकायत्त अधिकारों से युक्त - (पुं०) 1. स्वामी, For Private and Personal Use Only