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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | बहार स्थगनम् | स्थग् + ल्युट ] छिपाना, गुप्त रखना। स्थला [ स्थल-+टाप् ] ऊंची की हई सूखी जमीन जहाँ स्थागरम् [थग् अरन् ] सुपारी। जल के निकास का अच्छा प्रबंध हो (विप० स्थली, स्थगिका [स्थग्+ण्वुल+टाप, इत्वम् 11. वेश्या 2. पान / दे. नी०)। की दुकान 3. एक प्रकार की पट्टी / | स्थली | स्थल+ङीष ] 1. सूखी जमीन, दृढ़ भूमि स्थगित (वि०) [ स्थग्+क्त ] ढका हुआ, छिपा हुआ, 2. भूमि का प्राकृतिक स्थल, भूमि या भूखंड (जैसे गुप्त रक्खा हुआ। कि वनस्थल)-विललाप विकीर्णमूर्धजा समदुःखामिव स्वगी [स्थग्+क-कीप् ] पान की डिबिया। कूर्वती स्थलीम् ---कु०४।४। सम०-देवता पृथ्वी स्थगुः [ स्थग्+उन् ] कूबड़, कुब्ज / की देवी, भूमि की अधिष्ठात्री देवी-मेघ० 106 / स्थण्डिलम् [स्थल+इलच, नक, लस्य ड:] 1. भूखंड स्थलेशय (वि.) [स्थले शेते शी+अच, अलुक स०] (यज्ञ के लिए चौरस व चौकोर किया हआ), वेदी- सुखी जमीन पर सोने वाला,-यः कोई भी जल-स्थलनिषेदुषी स्थंडिल एव केवले-० 5 / 12 2. बंजर चारी जानवर। भूमि 5. ढेलों का ढेर 4. सीमा, हद 5. सीमा चिह्न। | स्थविः [स्था+क्वि] 1. जुलाहा 2. स्वर्ग / सम...शायिन् (पुं०) ('स्थरिलेशय' भी) वह | स्थविर (वि.) [स्थान किरच, स्थवादेशः ] 1. दृढ़, संन्यासी जो बिना बिस्तर के यज्ञभूमि पर सोता है, पक्का, स्थिर 2. बूढ़ा, वृद्ध, पुराना,-1. 1.बूढ़ा पुरुष -सितकम् वेदी। 2. भिक्षुक 3. ब्राह्मण का नाम,~-रा बूढ़ी स्त्री स्थपतिः स्था+क, तस्य पतिः] 1. राजा, प्रभु 2. वास्तु- - स्थविरे का त्वम् अयमकः कस्य नयनानन्दकरः कार 3. रथकार, बढ़ई 4. सारथि 5. बहस्पति के - दश०। प्रति बलि देने वाला, बृहस्पति-यज्ञ करने वाला | स्थविष्ठ (वि.) [ अतिशयन स्थूल: - स्थूल+इष्ठन् 6. अन्त.पुर रक्षक 7. कुबेर / लस्य लोपः] सबसे बड़ा, बहुत हृष्टपुष्ट, सबसे अधिक स्यपुट (वि.) [ तिष्ठति स्था+क, स्थं पुट यत्र] | विस्तृत ('स्थूल' की उत्तमावस्था)। 1. संकटग्रस्त, विपन्न 2. ऊबड़-खाबड़, ऊंचा-नीचा। स्थवीयस् [ स्थूल+ईयसुन्, स्थूलशब्दस्य स्थवादेश] सबसे सम० गत (वि.) विषम स्थानों में रहने वाला, बड़ा, अपेक्षाकृत विस्तृत (स्थूल की मध्यमावस्था) / कठिनाइयों से ग्रस्त अङ्कस्थादस्थिसंस्थं स्थपुटगत-स्था (भ्वा० पर० कुछ अर्थों में आत्मनेपद में भी मपि कव्यमव्यग्रमत्ति मा० 5 / 16 / --तिष्ठति ते, स्थित, कर्मवा० स्थीयते, इस धातु के स्थल (म्वा० पर० स्थलति) दृढ़ता पूर्वक स्थिर रहना, पूर्व इकारान्त उकारान्त उपसर्ग आने पर घातु के अडिग रहना / 'स्' को ष् हो जाता है) 1. खड़ा होना-चलत्येकेन स्थलम् [ स्थल+अच् ] 1. कठोर या शुष्क भूमि, सूखी। पादेन तिष्ठत्येकेन बुद्धिमान् -सुभा० 2: ठहरना, जमीन, दृढ़ भू (विप० जल)-भो दुरात्मन् (समुद्र) डटे रहना, बसना, रहना-ग्रामे गहे वा तिष्ठति दीयतां टिट्रिभाण्डानि नो चेत्स्थलतां त्वां नयामि-पंच० 3. शेष बचना, बाक़ी रह जाना-एको गङ्गदत्तस्तिष्ठति 1, इसी प्रकार स्थलकमलिनी या स्थलवर्मन् 2. सम- --पंच० 4 4. विलम्ब करना, प्रतीक्षा करना-किमिति द्रतट, समुद्रबेला, बाल-तट 3. पृथ्वी, भूमि, जमीन स्थीयते श०२ 5. ठहरना, उपरत होना, रुकना, 4. जगह, स्थान 5. खेत, भूखंड, जिला 6. पड़ाव निश्चेष्ट होना--तिष्ठत्येव क्षणमधिपतियोतिषां 7. उमरा हुआ भूखंड, टीला 8. प्रस्ताव, प्रसंग, व्योममध्ये विक्रम० 211 6. एक ओर रह जाना विषय, विचारणीय बात--विवाद, विचार आदि --तिष्ठतु तावत्पत्रलेखागमनवृत्तान्त:--का० (इस 9. खंड या भाग (जैसे किसी पुस्तक का) 10. तम्बू / / वृत्तान्त का ध्यान न कीजिए) 7. होना, विद्यमान सम०-अन्तरम् कोई दूसरी जगह,-आलू (वि.) होना, किसी भी स्थिति या अवस्था में होना, (प्रायः घरा पर उतरा हुआ, . अरबिन्वम्, कमलम्,-कम- कृदन्त के रूप में प्रयोग)-मेरी स्थिते दोग्धरि दोहदक्षे लिनी पृथ्वी पर उगने वाला कमल --मेघ० 90, कु. -कु० 112, श० 111, विक्रम० 111, कालं नयमाना 1133, चर (वि.) भूचर, (जो जलचर न हो),-व्युत तिष्ठति... पंच० 1, मनु 78 8. डटे रहना, अनुरूप (वि०) स्थान से पतित, अपनी पदवी से हटाया होना, आज्ञा मानना, (अधि० के साथ)-गासने तिष्ठ हआ, देवता स्थानीय या ग्राम्यदेवी,-पधिनी भ- भर्तुः-विक्रम० 5 / 17, रघु०, 1165 . प्रतिबद्ध कमलिनी,-मार्गः,-वर्त्मन् (नपुं०) भूमि पर बनी हुई होना-यदि ते तु न तिष्ठेयुरुपायैः प्रथमस्त्रिभिः-मनु. सड़क-स्थलवर्मना (भूमार्ग से), रघु० ४।६०,-विग्रहः 7 / 108 10. निकट होना-न वितं स्वेषु तिष्ठत्सु चौरस भूमि पर लड़ा जाने वाला युद्ध-शुद्धिः(स्त्री०) मृतं शूद्रेण नाययेत्-मनु० 5104 11. जीवित किसी भी स्थल की शुद्धि भूमि की सफ़ाई। रहना, सांस लेना--आः क एष मयि स्थिते चन्द्रगुप्त For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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