________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1133 ) शि० श२८ 11. संग्राम, लड़ाई 12. ताजा , स्कोटिका (स्त्री०) पक्षीविशेष / 13. करार 14. मार्ग, रास्ता 15. बुद्धिमान् या विद्वान् | स्खद् / भ्वा० आ० स्वदते) 1. काटना, काट कर टुकड़े पुरुप 16. कंकपक्षो, बगला / सम० आवारः 1. सेना टुकड़े करना 2. नष्ट करना 3. चोट पहुँचाना, या सेना की टुकड़ी 2. राजा का निवास, राजधानी क्षतिग्रस्त करना, मार डालना 4. परास्त करना, 3. शिविर, उपानेय (वि.) जो कंधे पर ढोया जाय, सर्वथा हरा देना 5. थकाना, श्रांत करना कष्ट देना शान्ति बनाये रखने के लिए की जाने वाली संधि 6. दृढ़ करना / जिसमें अधीनता के चिह्न स्वरूप कोई फल या धान्य स्वदनम् स्खिद् + ल्युट] 1. काटना, काटकर टुकड़े-टुकड़े उपहार में दिया जाय, - चापः बहंगी, तू० शिक्य / करना 2. चोट पहुँचाना. क्षतिग्रस्त करना, मार / तरः नारियल का पेड़, -देशः कंध, इदमपहित- डालना 3. कष्ट देना, दुःखी करना / सूक्ष्मग्रन्थिना स्कन्धदेशे-श० 1118, परिनिर्वाणम् स्खल (भ्वा० पर० स्खलति) 1. लड़खड़ाना, औंध मुंह शरीर के स्कंधों (पांचों तत्त्वों) का पूर्ण लोप या गिरना, नीचे गिरना, फिसलना, डगमगाना-स्खलति नाश (बौद्ध०),--फल: 1. नारियल का पेड़ 2. बेल चरणं भूमौ न्यस्तं न चातमा मही-मच्छ० 9 / 13, का वृक्ष 3. गूलर का पेड़, बंधना एक प्रकार का 5 / 24 2. डगमगाना, लहराना, थरथराना, डगमग सोया, मेथी,-मल्लकः कंकपक्षी, बगला,--रुहः वटवृक्ष, होना 3. आज्ञा भंग किया जाना, उल्लंधित होना वाहः,...वाहकः बोझा ढोने के लिए सधाया हुआ (किसी आदेश का)--- मुद्रा० 3 / 25, रघु० 18143 बैल, लद् बैल,--शाखा पेड़ की मुख्य शाखा जो वृक्ष 4. सन्मार्ग से च्युत होना-कि० 9.37 5. ग्रस्त के तने से निकले,-शृङ्गः भैस, स्कन्धः प्रत्येक कंधा। होना, उत्तेजित होना - कि० 3153, 1315 6. त्रुटि स्कन्धस् (नपुं०) [स्कन्ध+असुन्, पृषो०] 1. कंधा 2. वृक्ष करना, बड़ी भूल करना, गलती करना सवलतो का तना। हि करालम्बः सुहृत्सचिवचेष्टितम् हि० 3 / 134, स्कन्धिकः [स्कन्ध ठन्] बोझा ढोने के लिए सधाया हुआ (यहाँ यह 'प्रथम' अर्थ को भी प्रकट करता है) बैल, तु० 'स्कन्धवाह। 7. हकलाना, तुतलाना, रुक-रुक कर बोलना.....बदनस्कन्धिन् (वि.) (स्त्री०-नी) [स्कन्ध+इनि| 1. कंधों कमलकं शिशोः स्मरामि स्खलदसमञ्जसमजुजल्पितं वाला 2. डालियों वाला, तने वाला, (पु.) वक्ष / ते-उत्तर० 4 / 4, रघु०९/७६, कु० 5 / 56 8. विफल स्कन्न (भू० क० कृ०) [स्कन्द्+क्त] 1. पतित, नीचे गिरा होना, कोई प्रभाव न होना... रघु० 11483 9. बूंद हुआ, उतरा हुआ 2. रिसा हुआ, बूंद बूंद टपका हुआ बंद गिरना, टपकना, चूना 10. जाना, हिलना-जुलना 3. उगला हुआ, फैलाया हुआ, छिड़का हुआ 4. गया 11. ओझल होना 12. एकत्र करना, इकट्ठा करना हुआ 5. सूखा हुआ। -प्रेर० (स्खलयति-ते) 1. लड़खड़ाने का कारण बनना, स्कम्भ (भ्वा० आ०, स्वा० ऋया. स्कम्भते, स्कभ्नोति, 2. त्रुटि या भूल कराना, डगमगाने या दावांडोल स्कभ्नाति) 1. रचना 2. रोकना, रुकावट डालना, होने का कारण बनना-- बचनानि स्खलयन पदे पदे वाधा डालना, अवरोध करना, दवाना, नियन्त्रित -कु०४।१२, स्खलयति वचनं ते संश्रयत्यङ्गमङ्गम्-मा० करना —प्रेर० (स्कम्भयति-ते या स्कभयति-ते, वि,- 328, प्र-, धक्कमधक्का होना-रथा: प्रचस्खलतूबाधा डालना, अवरोध करना / श्चाश्वाः भट्टि० 14 / 98, वि- , गलती करना, स्कम्भः [स्कन्भ+घञ] 1. सहारा, थूणी, टेक 2. आलंब / बड़ी भूल करना रघु० 19 / 24 / / आधार 3. परमेश्वर / स्खलनम् [स्वल् + ल्युट्] 1. लड़खड़ाना, फिसलना, डगस्कम्भनम् स्किम्भ् / ल्युट | सहारा देने की क्रिया, सहारा, मगाना, नीचे गिर पड़ना 2. डगमगाते हुए चलना थूणी, टेक। 3. सन्मार्ग से विचलन 4. भारी भूल, टि, गलती स्कान्द (वि.) (स्त्री० ---दी) स्किन्द+अणु] 1. स्कन्द- 3. विफलता, निराशा, असफलता 6. हकलाना, बोलने सम्बन्धी 2, शिवसम्बन्धी, ..दम स्कन्द पुराण / / में भल या उच्चारण में अशुद्धि, रुक रुक कर बोलना स्कु (स्वा० ऋचा० उभ० स्कुनोति, स्कुनुते, स्कुनाति, | 7. चूना, टपकना 8. टकराना, उलझना-उत्तर० स्कुनीते) 1. कूद कर चलना, उछलना, चौकड़ी भरना / 20, महावीर० 5 / 40 9. आपस में घिसना, 2. उठाना, उद्वहन करना 3. ढकना, ऊपर बिछा देना रगड़ना। - भट्टि० 17 / 32 . पहुँचना, अति , ढांपना | स्खलित (भू० क० कृ०) (स्खल--क्त] 1. लड़खड़ाया, ... भट्टि० 1873 / फिसला, डगमगाया 2. गिरा, पड़ा 3. थरथराने वाला, स्कुन्द (भ्वा० आ० स्कुन्दते) 1. कूदना 2. उद्वहन करना, लहराने वाला, घटबढ़ होने वाला, अस्थिर 4. नशे उठाना। में चूर, पियक्कड़ 5. हकलाने वाला, रुक रुक कर For Private and Personal Use Only