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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (जैसे कि कोई कानूनी अभियोग) 9. दिया गया, / सिद्धता, त्वम् [ सिद्धि+तल+टाप, त्व वा] सम्पन्नता, भुगताया गया, (ऋणं आदि) चकता किया गया। पूर्णता, पूरा करना। 10. पकाया गया, (भोजन) बनाया गया 11. परि- सिद्धिः (स्त्री०) [ सिध् + क्तिन् ] 1. निष्पन्नता, पूर्णता, पक्व, पका हुआ 12. सर्वथा तैयार किया गया, संपूर्ति, पूरा होना, (किसी पदार्थ की) पूर्ण अवाप्ति मिश्रित, (वनस्पति आदि) एकत्र पकाई गई -क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे --सुभा० 13. (रुपया आदि) तैयार 14. वश में किया गया, 2. सफलता, समृद्धि:, कल्याण, कुशल-क्षेम 3. स्थापना जीता गया, (जादू के द्वारा) अधीन किया गया प्रतिष्ठा 4. प्रमाणन, प्रदर्शन, प्रमाण, निविवाद परि15. वशीभूत किया गया, मंगलप्रद बना हुआ णाम 5. (किसी नियम या विधि की) वैधता 16. पूर्णतः विज्ञ या दक्ष, प्रवीण जैसा कि 'रससिद्धम्' 6. फैसला, निर्णय, व्यवस्था (किसी कानूनी मुकदमे 17. संम्पादित, (साधना आदि के द्वारा) पवित्रीकृत की)7. निश्चिति, सचाई, यथार्थता, शुद्धता 8. अदा18. मुक्त किया हआ 19. अलौकिक शक्ति से यक्त यगी, (ऋण का) परिशोध 9. तैयार करना, (औषधि 20. पावन, पवित्र, पुण्यात्मा 21. दिव्य, अविनश्वर, आदि का) पकाना 10. समस्या का समाधान नित्य 22. विख्यात, विश्रुत, प्रसिद्ध 23. उज्ज्वल, शान- 11. तत्परता 12. नितान्त पवित्रता या विशुद्धता दार,-3ः1. अर्धदिव्य प्राणी जो अत्यंत पवित्र और 13. अतिमानव शक्ति-यह गिनती में आठ हैं-अणिमा पुण्यात्मा माना जाता है, विशेष रूप से देवयोनि विशेष लघिमा प्राप्तिःप्राकाम्यं महिमा तथा, ईशित्वं च वशित्वं जिसमें आठ सिद्धियाँ हों-~-उद्वेजिता वृष्टिभिराश्रयन्ते च तथा कामावसायिता 14. जादू के द्वारा अतिमानव शृङ्गाणि यस्यातपवन्ति सिद्धाः-कु. 15 2: अंतर्दृष्टि शक्तियों को प्राप्त करना 15. विलक्षण कुशलता या प्राप्त सन्त ऋषि या महात्मा (जैसे कि व्यास) क्षमता 16. अच्छा प्रभाब या फल 17. मुक्ति, मोक्ष 3. कोई भी संत, ऋषि या महात्मा--सिद्धादेश 18. समझ, बुद्धि 19. छिपाना, अन्तर्धान होना, अपने -रत्ना० 1 4. जादूगर, ऐन्द्रजालिक 5. कानूनी आपको अदृश्य करना 20. जादू की खड़ाऊँ 21. एक मुकदमा, अदालती जांच 6. गुड़,-सम समुद्री नमक। प्रकार का योग 22. दुर्गा का नाम / सम० --द सम० - अन्तः 1. सर्वसम्मत फल 2. किसी तर्क का (वि.) सफलता या सर्वोपरि आनन्दातिरेक देने वाला प्रदर्शित उपसंहार, किसी प्रश्न का सर्वसम्मत रूप, (-दः) शिव का विशेषण, दात्री दुर्गा का विशेषण, सही तथा तर्कसंगत उपसंहार (पूर्वपक्ष के निराकरण योगः ग्रहों का विशेष प्रकार का शुभ संयोग / के पश्चात्) 3. प्रमाणित तथ्य, मानी हई सचाई, सिध (दिवा० पर० सिध्यति, सिद्ध, प्रेर०--साधयति राद्धान्त, मत 4. निर्णायक साक्ष्य के आधार पर या सेधयति--इच्छा० सिषित्सति) 1. सम्पन्न होना, अवलंबित कोई माना हआ मलपाठ का ग्रन्थ, कोटि: पुरा होना यले कृते याद न सिध्यति कोऽत्र दोषः (स्त्री०) यक्तिगत बिन्दु जो तर्कसंगत उपसंहार / हि० प्र० 31, उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न माना जाता है, पक्षः किसी युक्ति का तर्कसंगत मनोरथैः 36 2. कामयाब होना, सफलता प्राप्त पार्श्व, --अन्नम् पकाया हुआ भोजन,--अर्थ (वि०) करना सिध्यन्ति कर्मसु महत्स्वपि यन्नियोज्या:-श० जिसने अपना अभीष्ट सम्पन्न कर लिया है, सफल 714 3. पहुँचना, आघात करना, सहो पड़ना-श० (-र्यः) 1. सफेद सरसों 2. शिव का नाम 3. महात्मा 215. अभीष्ट पदार्थ प्राप्त करना 5. सिद्ध होना, बुद्ध का नाम,---आसनम् धर्मसाधना में विशेष प्रकार प्रमाणित होना, बैध होना यदि वचनमात्रेणवाधिकी बैठने की स्थिति, डा, नदी,-सिन्धुः स्वगंगा, पत्यं सिध्यति हि०३ 6. व्यवस्थित या अभिनिर्णीत आकाशगंगा,-----ग्रहः विशेष प्रकार का पागलपन, होना 7. सर्वथा तैयार किया हुआ या पकाया हुआ मनोविक्षिप्त,--जलम् कांजी, --धातुः पारा,---पक्षः होना 8. विजित या जीता हआ होना-पंच०२३६, किसी प्रतिज्ञा का सर्वसम्मत तथा तर्कसंगत पहल, प्र--, 1. सम्पन्न होना, कार्यान्वित होना, सफल होना -प्रयोजनः सफेद सरसों,-योगिन् (पुं०) शिव का ...-..शरीरयात्रापि च ते न प्रसिध्येदकर्मणः-भग० 38, विशेषण,-रस (वि०) खनिज, धातुमय ( सः) तपसव प्रसिध्यन्ति मनु० 111231 2. उपलब्ध या 1. पारा 2. रसायनज्ञाता - सङ्कल्प (वि.) जिसने अवाप्त होना 3. विख्यात होना, दे० 'प्रसिद्ध', सम्--, अपना अभीष्ट सिद्ध कर लिया है, सेतः कार्तिकेय 1. पूरा किया जाना 2. सर्वथा सम्पन्न या क्रियान्वित का नाम,-.-स्थाली ऋषि की बटलोई या पात्र (ऐसा होना, पूरी तरह अनुष्ठित होना 3. आनन्दातिरेक समझा जाता है कि इस बर्तन से इच्छानुसार भोजन प्राप्त करना, प्रसन्न होना-जप्येनेव तु संसिध्येद् प्राप्त किया जा सकता है और फिर भी यह भोजन | ब्राह्मणो नात्र संशय:--मनु० 2187 / से भरपूर रहता है)। ii (म्वा० पर० सेघति, सिद्ध, इकारान्त उकारान्त For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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