________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1098 ) साम् (चुरा० उभ० सामयति-ते) खुश करना, ढाढस | सामर्थ्यम् [समर्थ ---व्यञ] 1. शक्ति, बल, धारिता, बंधाना, तसल्ली देना। ताकत 2. उद्देश्य की समानता 3. अर्थ की एकता सामकम् सिमक+अण] मूल ऋण, कः साण, (वह पत्थर 4. पर्याप्ति, योग्यता 6. शब्दार्थ शक्ति, शब्द की जिस पर औजार तेज किये जाते हैं)। अर्थमूलक शक्ति 6. हित, लाभ 7. दौलत / सामग्री समग्रस्य भावः ष्या स्त्रीत्वपक्षे ङीषि यलोप:] सामवायिक (वि.) (स्त्री-की) [समवाय प्रसृतः ठ] 1. सामान का संग्रह, या संघात, उपकरण, घर का | 1. किसी संग्रह या संघात से संबद्ध 2. अटूट सम्बन्ध सामान - भर्तृ० 3 / 155 2. सामान. माल-असबाब / से युक्त, ---कः मंत्री, पार्षद / सामग्र्यम् [समन+ष्य ] 1. समग्रता, पूर्णता, समूचापन, | सामाजिक (वि.) (स्त्री०-की) [समाज:-सभावेशनं प्रयो समष्टि --प्रायेण सामग्र्यविधौ गुणानां पराङ्मुखी जनमस्य ठा] किसी सभा से सम्बद्ध, कः किसी विश्वसजः प्रवृत्तिः--कू० 3 / 28 2. अनुचरवर्ग, नौकर- सभा का सदस्य, सभा में दर्शक तेन हि तत्प्रयोगाचाकर 3. उपकरणों का संग्रह, औजारों का भण्डार देवात्रभवतः सामाजिकानपास्महे मा० 1 / / 4. भण्डार, सामान। सामानाधिकरण्यम् सिमानाधिकरण+ष्य] 1. उसी सामञ्जस्यम् [समञ्जस+ष्य] 1. योग्यता, संगति, दशा या स्थिति में होना 2. सामान्य पद, कार्य या औचित्य, तु० असमञ्जस 2. यथार्थता, शुद्धता। प्रशासन, समान सम्बन्ध (जैसे कि कारक का) 3. एक सामन् (नपुं०) [सो+मनिन्] 1. खुश करना, शान्त ही पदार्थ से संबन्ध होने की स्थिति / करना, आराम पहुँचाना, तसल्ली देना 2. सुलह करना, सामान्य (वि.) [समानस्य भावः ष्यञ] 1. समान, शान्ति के उपाय, समझौता-वार्ता करना (राजा के साधारण-सामान्यमेषां प्रथमावरत्वम् --- कू० 744, द्वारा अपने शत्र के प्रति किये जाने वाले चार साधनों आहारनिद्राभयमैथुनं च सामान्यमेतत्पशुभिर्नराणाम् में सबसे पहला)--सामदण्डौ प्रशंसन्ति नित्यं राष्ट्राभि- ---- सुभा०, रघु० 14167, कु० 2 / 26 2. सदृश, तुल्य, वृद्धये--मनु० 7 / 109 3. शान्तिदायक या मदु उपाय, समान 3. मामूली, औसतदर्जे का, बीच का--भर्तृ० शान्त या ढाढस बंधाने वाला आचरण, मदुवचन 2 / 74 4. तुच्छ, नाचीज, नगण्य 5. समस्त, संपूर्ण,-त्यम --पंच०४।२६, 48 4. मदुता, कोमलता 5. छन्दोबद्ध / 1. समुदाय, साधारणता, विश्वव्यापकता 2. सामान्य या सूक्त या प्रशंसात्मक गान सप्तसामोपगीतं स्वाम संघटक गुण, साधारणलक्षण 3. समष्टि, समस्तता -रघु० 10121, भग०.१०।३५ 6. सामवेद का 4. भेद, प्रकार 5. अनुरूपता 6. समानता, समता मंत्र 7. सामवेद (सूर्य से उत्पन्न कहा जाता है-तु० 7. सार्वजनिक कार्य 8. साधारण उक्ति-उक्तिरर्थामनु० 1123) / सम० - उद्भवः हाथी,- उपचारः, न्तरन्यासः स्मात्सामान्य विशेषयोः -- चन्द्रा० 5 / 120 ---उपायः मदु और शान्ति देने वाले उपाय, कोमल 9. (अलं० में) एक अलंकार जिसकी परिभाषा या शान्त युक्तियाँ, --गः सामवेद के मंत्रों का गायन मम्मट ने निम्नांकित लिखी है-प्रस्तुतस्य यदन्येन करने वाला ब्राह्मण, -ज, - जात (वि०) 1. सामवेद गणसाम्यविवक्षया, एकात्म्यं बध्यते योगात्तत्सामान्यसे उत्पन्न 2. शान्ति के उपायों से उद्भूत (-जः,-तः) मिति स्मृतम् काव्य. 10 / सम०. ज्ञानम् हाथी--शि० 12 / 11, 18 / 33, योनि: 1. ब्राह्मण लोकविषयक व्यापक बातों का ज्ञान,-पक्षः मध्यस्थिति, 2. हाथी, वादः कृपावचन, मधुरशब्द,-शि०२।५५, - लक्षणम् व्यापक परिभाषा- इति द्रव्यसामान्य-वेदः चारों में से तीसरा वेद / लक्षणानि-तर्क०, वनिता सामान्य स्त्री, वेश्या, सामन्त (वि.) [समन्त+अण] 1. सीमावर्ती, सरहदी, शास्त्रम् साधारण नियम / पड़ोसी 2. विश्वव्यापक, त: 1. पड़ोसी 2. पड़ोस का | सामासिक (वि.) (स्त्री०-~-की) [समास+ठक ] राजा 3. मांडलिक, कर देने वाला राजा सामन्त- 1. सामूहिक, समस्त को समझने वाला, समुच्चयात्मक मौलिमणिरजितपादपीठम् --विक्रम० 3.19, रघु० 2. संहत, संक्षिप्त 3. समाससंबंधी, कम् सब 5 / 28, 6 / 32 4. नेता, नायक, -- तम् पड़ोस। प्रकार के समासों का वर्ग- द्वन्द्वः सामासिकस्य च सामयिक (वि.) (स्त्री०-की) [समय+ठञ] 1. प्रथा- .. भग० 10133 / नुसारी, परम्परागत 2. सम्मत, प्रतिज्ञात 3. करार के | सामि (अव्य०) [साम्+इन् ] 1. आघा, अर्थात् अपूर्ण अनुरूप, नियत समय का पालन करने वाला,--देवि, -अभिवीक्ष्य सामिकृतमण्डनं यती: कररुद्धनीविगलसामयिका भवामः .-मालवि० 1 4. समय पालक, दंशुकाः स्त्रियः-शि० 13 / 31, रघु० 19 / 16 वक्त का पाबन्द 5. ऋतु के अनुकूल, समय पर होने 2. कलंकनीय, नीच, निंदनीय। वाला -कि० 2010 6. नियत समय पर होने वाला / सामिधेनी [ सम- इन्ध+ल्युट, नि०] 1. एक प्रकार के 7, अस्थायी। सम०-अभाव: अस्थायी अनस्तित्व / / प्रार्थनामंत्र जिनका पाठ यज्ञाग्नि प्रज्वलित करते For Private and Personal Use Only