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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (1089 ) सवः। सु-+अच ] 1. सोमरस का निकालना 2. चढ़ावा, / गणों से युक्त 2. विशेष, असाधारण 3. विशिष्ट, तर्पण 3. यज्ञ 4. सूर्य 5. चांद 6. प्रजा,. वम् 1. पानी खास--उत्तर० 4 4. प्रमुख, श्रेष्ठ, बढ़िया 5. विलक्षण 2. फूलों से लिया गया मधु / (सविशेषम्, सविशेषतः (क्रि० वि०) विशेष कर, सवनम् [ सु (सु)-ल्युट ] 1. सोम रस का निकालना खास तौर से, अत्यंत-~अनेन धर्मः सविशेषमद्य मे या पीना 2. यज्ञ-अथ तं सवनाय दीक्षितः -रघु० त्रिवर्गसारः प्रतिभाति भामिनि--कु० 5 / 38, प्रायः 875, श० 3228 3. स्नान, शुद्धिपरक स्नान / समास में—कु० 27. रघु०१६।५३) / 4. जनन, प्रसव, बच्चे पैदा करना / सविस्तर (वि०) [ सह विस्तरेण-ब० स०] विवरण सवयस् (वि०) [ समानं वयो यस्य --ब० स० ] एक ही सहित, सूक्ष्म, पूर्ण,-- रम् (अव्य०) विवरण के साथ, आयु का पुं० 1. समवयस्क, समसामयिक 2. एक ही। विस्तार पूर्वक। आय के साथी, स्त्री० सखी, सहेली। सविस्मय (वि.) [ सह विस्मयेन--- ब० स० ] आश्चर्यासवरः (पुं०) 1. शिव का नाम 2. जल। वित, अचंभे से युक्त, चकित / सवर्ण (वि.) [समानो वर्णो यस्य .. ब०स०] 1. एक ही सवृद्धिक (वि०) [ सह वृद्धया-ब० स० कप् ] जिसका रंग का 2. एक सी सूरत शक्ल का, समान, मिलता- / ब्याज मिले, ब्याज से युक्त / जुलता दुर्वर्णभित्तिरिह सान्द्रसुधासवर्णा---शि० 4 / सवेश (वि.) [सह वेशेन - ब. स.] 1. सजा हुआ, 28, मेघ० 18, रघु० 9 / 21 3. एक ही जाति का | अलंकृत, वेशभूषा से युक्त 2. निकट, समीपवर्ती / 4. एक ही प्रकार का, एक जैसा 5. एक ही वर्णमाला 5. एक ही वणमाला | सव्य (वि.) [स+य ] 1. बायाँ, बायाँ हाथ 2. दक्षिणी का, एक ही स्थान से (वागिन्द्रियों द्वारा) उच्चारण किये 3. विरोधी, पिछड़ा हुआ, उलटा 4. सही,-व्यम् जाने वाले वर्ण-तुल्यास्य प्रयत्नं सवर्णम् पा० 1 / 1 / 9 / (अव्य०) जनेऊ का बायें कंधे पर लटकते रहना सविकल्प, सविकल्पक (वि.) [सह विकल्पेन-ब० स० - तु० अपसव्य / सम० - इतर (वि.) सही, ठीक, पक्षे कप्] 1. ऐच्छिक 2. संदिग्ध 3. कर्ता और कर्म के "--साचिन् (पुं०) अर्जुन का विशेषण-निमित्तमात्र अन्तर को पहचानने वाला, ज्ञाता और ज्ञेय के भेद भव सव्यसाचिन--भग० 11133, (महाभारत में को जानने वाला (विप० निर्विकल्पक)। नाम की व्याख्या निम्नांकित है-- उभी मे दक्षिणी सविग्रह (वि.) (सह विग्रहेण - ब०स०] 1. शरीरधारी, पाणी गांडीवस्य विकर्षण / तेन देवमनुष्येषु सव्य देहधारी 2. सार्थक, अर्थवाला 3. संघर्षरत, झगड़ालू / साचीति मां विदुः // ) / सवितर्क, सविमर्श (वि.) सह वितर्केण विमर्शन वा-ब० | सव्यपेक्ष (वि.) [ व्यपेक्षया सह -ब० स०] संयुक्त, स०] विचारवान्,--कम,-शम् (अन्य) विचार- निर्भर-स्नेहश्च निमित्तसव्यपेक्षश्चेति विप्रतिषिद्धमेतत् पूर्वक। ---मा० 1, उत्तर०६। सवित (वि.) (स्त्री० त्री) [सूतच ] जनक, | सव्यभिचारः [ सह व्यभिचारेण---ब० स०] (तर्क० में) उत्पादक, फल देने वाला-सवित्री कामानां यदि जगति हेत्वाभास के पाँच मुख्य भेदों में से एक, साधारण जागति भवती गंगा०२३, ..पुं० 1. सूर्य उदेति | मध्यपद, व्याख्या के लिए दे० 'अनैकान्तिक' / सविता ताम्रस्ताम्र एवास्तमेति च-काव्य० 7 सव्याज (वि.) [ सह व्याजेन ब. स.] 1. चालबाज 2. शिव 3. इन्द्र 4. मदार का पेड़, अर्क वृक्ष / 2. बगुलाभगत, रंगासियार, चालाक। सवित्री सवित-+ डीप] 1. माता---००११२४ 2. गाय / | सव्यापार (वि०)[व्यापारेण सह ब० स० ] व्यस्त, सविध (वि.) [ सह विधया-ब० स०] 1. एक ही | व्यापृत, कार्य में नियुक्त। प्रकार या ढंग का 2. निकट, सटा हुआ, समोपी सनीड (वि०) [वीडया सह-ब० स०] 1. लज्जाशील - भूयो भूय: सविधनगरीरथ्यया पर्यटन्तम्-मा० शर्मिन्दा। 1 / 15, ----धम् सामीप्य, पड़ोस ~~यस्य न सविघे दयिता सव्येष्ठ (0), सव्येष्ठः सव्ये तिष्ठति-सव्ये+स्था दवदहनस्तुहिनदीधितिस्तस्य-काव्य० 9, किमासेव्थं +ऋन्, क वा, अलुक स०, षत्वम्] सारथि, रथ पुंसा सविधमनवा धुसरितः--१०, नै० 2 / 47, शि० हाँकने वाला। 14169, भामि० 2 / 182 / सशल्य (वि.) सहशल्येन-ब.स.] 1. कांटेदार 2. बी सविनय (वि.) [ सह विनयेन-ब० स० 1 विनीत, या कांटों से बिंधा हुआ। विनम्र,--यम् (अव्य०) विनयपूर्वक / सशस्य (वि.) [सहशस्येन-ब० स०] सस्य से युक्त, सविभ्रम (वि०) [ सह विभ्रमेण -- ब० स०] क्रीडायुक्त, ___अन्नोत्पादक, स्या सूर्यमुखी फूल का एक भेद / विलासयुक्त / सश्मश्रु (वि.) [सह श्मश्रुणा-ब० स०] दाढ़ी-मूंछ वाला, सविशेष (वि०) [ सह विशेषेण ब० स०] 1. विशिष्ट | स्त्री वह स्त्री जिसके दाढ़ी मूंछ दिखाई दे। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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