________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -भगवन्सङ्कल्पयोने-मालवि० ---4, कु० ३।२४,-रूप / 2. निशान, अंगचेष्टा, सूझाव-मद्रा०१3. इंगितपरक (वि.) 1. ऐच्छिक 2. इच्छा के अनुरूप / चिह्न, निशानी, प्रतीक 4. सहमति, सम्मिलन सङ्केतो सङ्कसुक (वि०) [सम् + कस+उका ] 1. अस्थिर, | गृह्यते जातौ गुणद्रव्यक्रियासु च -- सा० द० 12 चंचल, परिवर्तनशील, अनियमित 2. अनिश्चित, 5. प्रेमी प्रेमिका का पारस्परिक ठहराव, नियुक्ति, संदिग्ध 3. बरा. दाट 4. निर्बल, बलहीन, कमजोर / (प्रेमी या प्रेमिका के मिलने का) निर्दिष्ट स्थान सङ्कारः [ सम् ++घञ ] 1. धूल, बुहारन, कुडाकरकष्ट नामसमेतं कृतसङ्केतं वादयते मृदु वेणुम् गीत० 5 2. ज्वालाओं के चटखने का शब्द / 6. (प्रेमियों का) मिलन-स्थल, समागम-स्थान सडारी [संकार+ङीष ] वह लड़की जिसका कौमार्य कान्ताथिनी तु या याति संकेतं साभिसारिका अभी अभी भंग हुआ हो, नई दुलहिन / अमर० 7. प्रतिबंध, शर्त 8. (व्या० में) संक्षिप्त सङ्काश (वि०) [ सम् + का+अच् ] 1. सदृश, समान, विवृति, सूत्र / सम० ---गृहम्,--निकेतनम्,-स्था मिलता-जुलता (समास के अन्त में) अग्नि, हिरण्य नम् निर्दिष्ट स्थान, प्रेमी और प्रेमिका का मिलन2. निकट, पास, नज़दीक, शः 1. दर्शन, उपस्थिति स्थान / 2. पड़ोस / सङ्कतकः [सङ्केत | कन्] 1. सहमति, सम्मिलन 2. नियुक्ति, सङ्किलः [ सम्+किल+क] जलती हुई लकड़ी, जलती निर्देशन 3. प्रेमी और प्रेमिका का मिलन-स्थान 4. वह हुई मशाल / प्रेमी या प्रेमिका जो मिलने के लिए समय या स्थान सङ्कीर्ण (भू० क. कृ०) [ सम् ++क्त ] 1. साथ का संकेत करे-सङ्केतके चिरयति प्रवरो विनोदः साथ मिलाया हुआ, अन्तमिश्रित 2. अव्यवस्थित, ---मृच्छ० 3 / 3 / विभिन्न 3. बिखरा हुआ, फैला हुआ, खचाखच भरा सतित (वि.) [सडूत+इतच] 1. ठहराया हुआ, मिलहुआ 4. अस्पष्ट 5. दान बहाता हुआ, नशे में चूर कर नियमानुसार निर्धारित, साक्षात्संकेतितं योऽर्थ---हि० 4 / 17 6. वर्णसंकर जाति का, अपवित्रकुल मभिधत्ते स वाचक:-काव्य० 2. आमन्त्रित, बुलाया या संकरजाति में जन्मा हआ 7. हरामी, दोगला हुआ। 8. तंग, संकुचित, णः 1. संकर जाति का व्यक्ति, सोचः [सम्+कुच - घा] 1. सिकूड़ना, शिकन पड़ना 2. मिश्रस्वर 3. वह हाथी जिसके मस्तक से मद 2. संक्षेपण, न्यूनीकरण, भींचना 3. त्रास, भय 4. बंद बहता हो, मस्तहाथी,-र्णम कठिनाई। सम० जाति, करना, मूंदना 5. बांधना 6. एक प्रकार की मछली, ---योनि (वि०) वर्णसंकर, दोगली नस्ल का, (जैसे --- चम् केसर, जाफरान / कि खच्चर),--युद्धम् अव्यवस्थित लड़ाई, रणसंकूल / सङ्क्रन्दनः [सम्+क्रन्द+ल्युट] श्री कृष्ण का नाम / सङ्कीर्तनम्,-ना [सम् +कृत+णिन् -ल्युट, ईत्वम् ] | सङ्क्रमः [सम् ।-क्रम्+घा] 1. सहमति, संगमन, 1. प्रशंसा करना, सराहना, स्तुति करना 2. (किसी साथ जाना 2. संक्रान्ति, यात्रा, स्थानान्तरण, प्रगति देवता का) यशोगान करना 3. भजन के रूप में 3. किसी ग्रह का एक राशिचक्र से दूसरी राशि में किसी देवता के नाम का जप करना। जाना 4. गमन करना, यात्रा करना,-मः - मम् सङ्कुचित (भू. क. कृ.)[समकूच +क्त | 1. सिकोड़ा 1. कठिन या संकरा मार्ग 2. सेतु, पुल नदीमार्गेषु हुआ, संक्षिप्त किया हुआ - लङ्कापतेः सङ्कुचितं यशो च तथा संक्रमानवसादयेत-महा0 3. किसी लक्ष्य की यत् विक्रमांक० 1027 2. सिकुड़न वाला, झुर्रियाँ प्राप्ति का साधन, तामेव संक्रमीकृत्य दश०, सो पड़ा हुआ 3. ढका हुआ, बंद किया हुआ 4. आवरण। ऽतिथिः स्वर्गसङ्क्रमः-पंच०४।२। सङकुल (वि.) [सम्+कुल +क] 1. अव्यवस्थित | सभामणम [सम्+क्रम् + ल्युट] 1. संगमन, सहमति 2. आकीर्ण, खचाखच भरा हुआ, पूर्ण-नक्षत्रताराग्रह- 2. संक्रान्ति, प्रगति, एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर सकुलापिज्योतिष्मती चन्द्रमसेव रात्रि:-रघु०६।२२, | जाना 3. सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना मा० 112 3, विकृत 4. असंगत,--लम् 1, भीड़, 4. सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश करने का दिन 5. मार्ग। जमघट, भीड़भाड़, संग्रह, छत्ता, झुंड, महतः परिषनस्य सक्रान्त (भू० क० कृ०) सिम--क्रम् + क्त] 1.." में से सङकुलेन विघटितायां तस्यामागतोऽस्मि-मा० 1 गया हुआ, प्रविष्ट हुआ 2. स्थानान्तरित, न्यस्त, 2. अव्यवस्थित लड़ाई, रणसंकुल 3. असंगत यां। समर्पित-उत्तर० 1223. पकड़ा, ग्रस्त 4.प्रतिपरस्पर-विरोधी भाषण-उदा०-यावज्जीवमहं मौनी, फलित, प्रतिबिंबित 5. चित्रित / ब्रह्मचारी च मे पिता / माता तु मम वन्ध्यव पुत्रहीनः | सङ्क्रान्तिः (स्त्री.) [सम्+क्रम+क्तिन्] 1. संगमन, मेल पितामहः // 2. एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक का मार्ग, अवस्थांतर सतः [सम् +कित्+घञ] 1. इशारा, इंगित | 3. सूर्य या किसी और ग्रहांग का एक राशि से For Private and Personal Use Only