________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत के युद्ध में भीष्म पितामह को मारने का एक | 2. कलंगीदार, शिखाधारी 3. घमंडी (पुं०) साधन बना। जब अर्जन ने शिखंडी को अपने योद्धा / 1. मोर-पंच० 11159, विक्रम० 2 / 23, शि० 4 / 50 के रूप में आगे कर दिया तो भीष्म पितामह ने 2. अग्नि रिपुरिव सखीसंवासोऽयं शिखीव हिमास्त्री के साथ युद्ध करने से हाथ खींच लिया। बाद निल: गीत० 7, पंच० ४।११०,रघु० 19154, में अश्वत्थामा ने शिखंडी को मार डाला)। शि० 157 3. मुर्गा 4. बाण 5. वृक्ष 6. दीपक शिलण्डिनी [शिखण्डिन+कीप] 1. मोरनी 2. एक प्रकार 7. सांड़ 8. घोड़ा 9. पहाड़ 10. ब्राह्मण 11. साधु की चमेली 2. द्रुपद की पुत्री दे. ऊ. 'शिखंडिन् / 12. केतु 13. तीन की संख्या 14. चित्रक वृक्ष / शिखरः, -रम् [शिखा अस्त्यस्य-अरच आलोपः] 1. चोटी, सम० कण्ठम् --ग्रीवम् तूतिया, नीला थोथा पहाड़ का सिरा या शृंग-जगाम गौरी शिखर शिख- . ध्वजः 2. कार्तिकेय का विशेषण 2. घूओं - पिच्छम् ण्डिमत् कु. 57, 14, मेघ. 18 2.वृक्ष का सिर -पुच्छम् मोर की पूंछ, दुम,-यूपः बारहसिंगा, या चोटी 3. कलगी, चडा 4. तलवार की नोक या -.. वर्षकः गोल लौकी,-वाहनः कार्तिकेय का विशेषण घार 5. चोटी, शृंग, शीर्षबिन्दु 6. कांख, बगल 7. --शिखा 1. ज्वाला 2. मोर की कलंगी। बालों का कड़ा होना 8. अरवी चमेली की कली 9. शिपुः [शि+रुक गुक च] 1. सागभाजी 2. सहिजन एक लाल की भांति मणि। सम०-वासिनी दुर्गा का पेड़। का विशेषण। शिखः (म्वा० पर० शिखति) जाना, हिलना-जुलना / शिखरिणी [शिखरिन्+डीप] 1. नारीरल 2. चीनी | शिख (भ्वा० पर०) सूचना / मिश्रित दही जिसमें मसाले पड़े हों, श्रीखंड 3. | शिक्षाणः [शिद्ध+आणक, पृषो० कलोप:] 1. पपड़ी, रोमावली जो वक्षःस्थल से चलकर नाभि को पार कर | झाग 2. बलगम, कफ,-णम् 1. नाक की मल, सिणक जाती है 4. एक छन्द का नाम --दे० परि०१। 2. लोहे का जंग 3. शीशे का बर्तन / शिखरिन (वि०) (स्त्री०-णी) [शिखरमस्त्यस्य इनि] शिजाणकः, कम् [शिक+अणक] नासिकामल, सिणक, 1. चोटी वाला, शिखाधारी 2. नुकीला, शिखरयुक्त कः कफ, बलैंगम / —शिखरिदशना - मेघ० 82, (पुं०) 1. पहाड़ शिञ्ज (भ्वा० अदा० आ०, चुरा० उभ०-शिजते, शिङ्क्ते, - इतश्च शरणार्थिनां शिखरिणां गणाः शेरते -भर्त. शिजयति ते, शिञ्जित) टनटनाना, झनझनाना, 2176, मघ०१३, रघु० 9 / 12, 22 2. पहाड़ी दुर्ग खड़खड़ाना-शि०१०।६२ / 3. वृक्ष 4. टिटिहरी 5. अपामार्ग का पौधा / शिजः [शि +घञ ] टंकार, झनझनाहट, टनटन या शिक्षा [शि+खक तस्य नेत्वम्, पृषो०] 1. सिर की चोटी झनझन की ध्वनि, विशेषकर झांवर आदि गहनों पर बालों का गुच्छा मुद्रा० 3130, शि. 450, की झंकार। मा० 106 2. चोटी, शिखाग्रन्थि 3. चडा, शिजञ्जिका (स्त्री०) कटिबंध, करधनी / कलगी 4. चोटी, शिखर, शीर्षबिन्दु -कि० शिजा [शिज+अ+टाप | 1. टंकार, झंकार आदि 6 / 17 5. तेज सिरा, धार, नोक या सिरा-श. 2. धनुष की डोरी। 114, भामि० 12 6. वस्त्र का छोर, श० 1 / 14 | शिजित (भू० क० कृ०) शिज+क्त ] टंकृत, संकृत 7. अम्बि ज्वाला प्रभामहत्या शिखयेव दीपः कु. तम् टंकार, (झावर आदि गहनों की) झंकार, 1128, रघु०१७॥३४ 8. प्रकाश की किरण - कु० --कृजितं राजहंसानां नेदं न पुरशिजितम्-विक्रम 2238 1. मोर की कलगी 10 जटायुक्त जड़ 4 / 14 / 11. शाखा (विशेष रूप से जड़ पकड़ती हुई) 12. शिजिनी [शि + णिनि+डीप ] 1. धनुष की डोरी प्रधान या मुखिया 13. कामज्वर। सम० तरः 2. झांवर नूपुर (पैरों में पहना जाने वाला गहना) / दीपाधार, दीवट,-धरः मोर, . °जम् मोर का पंख, | शिट् (भ्वा० पर० शेटति) तुच्छ समझना, घृणा करना, --धारः मोर,-मणिः चूड़ामणि, मूलम् 1. गाजर तिरस्कार करना। 2. मूली,--वरः कटहल का पेड़,-बल (वि.) नुकीला | शित (भू. क. कृ०) [शो+क्त ] 1. तेज किया हुआ, कलगीदार, (-8:) मोर, वृक्षः दीपाचार, दीवट, पैनाया हुआ 2. पतला, कृश 3. छीजा हुआ-श्रीण -बुद्धिः (स्त्री०) प्रतिदिन बढ़ने वाला व्याज। दुर्बल, बलहीन / सम० --अपः काँटा,-धारा (वि.) शिलालः [शिखा+आलुच्] मोर की कलंगी। तेज धार वाला, - शुक: 1. जो 2. गेहूँ। शिक्षावत (वि.) [शिखा+मतुप] 1. कलगीदार | शितः (स्त्री०) सतलज नाम की नदी दे० 'सतद्र'। 2. ज्वालामय, (पुं०) 1. दीपक 2. आग / शिति (वि.)[शि+क्तिच ] 1. श्वेत 2. काला-शि. शिलिन् (वि०) [शिखा अस्त्यस्य इनि] 1. नुकीला / १५॥४८-ति: भूर्जवृक्ष। सम-कण्ठः 1. शिव सकार। For Private and Personal Use Only