________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गतं प्राहः सतुषं धान्यमच्यते-दे० 'तंडुल' भी 3.4 कि इसी ने ऋग्वेद के पद-पाठ को व्यवस्थित किया गुण / सम० क्षेत्रम् अन्न का खेत, भक्षक (वि०) | था)। अन्नहारी, अनाज खाने वाला, मञ्जरी अनाज की | शाकारी (स्त्री०) प्राकृत का एक निम्नतम रूप, शकार बाल,-मालिन (वि०) जिसका खेत हरा भरा खड़ा द्वारा बोली गई बोली जैसा कि मृच्छकटिक में। हो,-शालिन, संपन्न (वि०) अन्न या धान्य से | शाकिनम् [शाक+इनच्] खेत जैसा कि 'शाकशाकिन' में। परिपूर्ण, शुकम् अनाज का सि-,--संपद (स्त्री०) / शाकिनी शाकिन-डीप| 1. साग-भाजी का खेत 2. दुर्गाअनाज की बहुतायत, सम्ब (म्ब) र शाल का वृक्ष, देवी की सेविका (जो एक पिशाचिनी या परी समझी साल का पेड़ / जाती है)। शाकः, -कम् [शक्यते भोक्तुम् --शक+धा ] शाक, शाकुन (वि.) (स्त्री०-नी) शकुन+अण] 1. पक्षियों साग--भाजी, खाद्यपत्ते, फल या कन्द जो शाक से सम्बन्ध रखने वाला—मनु० 3268 2. सगुन की भांति उपयोग में लाये जायं-दिल्लीश्वरो वा सम्बन्धी 3. शकुनसम्बन्धी / जगदीश्वरो वा मनोरथान पुरयितं समर्थः, अन्य- शाकूनिकः [शकुनेन पक्षिवधादिना जीवति ठा] बहेलिया, न पाल: परिदीयमानं शाकाय वा स्याल्लवणाय वा चिड़ीमार-मच्छ० 6, मनु०८।२६०, कम् शकुनों स्यात् जग०,-क: 1. शक्ति, सामर्थ्य. ऊर्जा की व्याख्या। 2. सागोन का वृक्ष 3. शिरीष का वृक्ष 4. एक जाति | शाकुनयः [शकुनि+ढक] छोटा उल्लू / का नाम-दे० शक 5. वर्ष, विशेषतः शालिवाहन शाकुन्तलः [ शकुन्तला+अण् ] भरत का मातृपरक नाम संवत्सर / सम० अङ्गम् मिर्च, ..अम्लम् महादा, (शकुन्तला का पुत्र) लम् कालिदास का अभिज्ञान इमलो, - आल्यः सागौन का वृक्ष, (त्यम्) शाकभाजी, शाकुन्तल नामक नाटक / ---आहारः शाकभाजी खाने वाला (बनस्पति खाकर शाकुलिकः [शकुल-+ठक्] मछुआ, मछली मारने वाला। जीवित रहने वाला),----चुक्रिका इमली,-तरुः शाक्करः [शक्कर+अण्] बैल / सागौन का वृक्ष,-पणः 1. मुट्ठीभर भार के बराबर शक्ति (वि.) (स्त्री०-क्ती) [शक्ति+अण्] 1. शक्तितोल 2. मट्टीभर शाकभाजी, पार्थिवः अपने नाम सम्बन्धी 2. दिव्यशक्ति की स्त्री प्रतिमा से सम्बन्ध से वर्ष चलाने का शौकीन, दे० मध्यमपदलोपिन, रखने वाला, क्तः शक्तिपूजक (शाक्त लोग प्रायः --प्रति (अब्य०) थोड़ी सी वनस्पति,-योग्यः धनिया. दुर्गा के उपासक होते हैं, दुर्गा ही दिव्यशक्ति की -वृक्षः सागौन का पेड़, -- शाकटम्, शाकिनम् साग स्त्रीमति है, अनुष्ठान पद्धति दो प्रकार की है, पवित्र भाजी का खेत, रसोई के योग्य सब्जियों का उद्यान / अर्थात दक्षिणाचार तथा अपवित्र अर्थात् वामाचार)। शाकट (वि.) (स्त्री०--टी) [शकट-अण ] 1. गाड़ी | शाक्तिकः [ शक्ति-+ठक] 1. शक्ति का पूजक 2. बी. सम्बन्धी 2. गाड़ी में बैठकर जाने वाला,--टः धारी, भाला रखने वाला। 1. गाड़ी खींचने वाला बैल 2. श्लेष्मान्तक वृक्ष / शाक्तीकः [शक्ति + ईकक बी रखने वाला, भालाघारी। (नपुं०) खेत .--तु० शाकशाकटम् / शाक्तेयः [शक्ति+ढक] शक्ति का उपासक / शाकटायनः [शकटस्थापत्यम् . शकट ।-फका भापा- शाक्यः [ शक+धा तत्र साधुः यत् ] 1. बुद्ध के कुटुम्ब विज्ञान और व्याकरण का पंडित जिसका पाणिनि का नाम 2. बुद्ध। सम० भिक्षुकः बौद्धभिक्षु, और यास्क ने कई बार उल्लेख किया है तु० मुनिः, - सिंहः बुद्ध के विशेषण / व्याकरणे शकटस्य च तोकम .-निरु० / शाको [शक्र-अण+कीप] 1. इन्द्र की पत्नी शची शाकटिक (वि.) (स्त्री० की) [शकट -ठक ] 2. दुर्गादेवी। 1. गाड़ीसम्बन्धी 2. गाड़ी में बैठकर जाने वाला। शाक्वरः [शक्वर | अण्] बैल, तु० 'शाक्कर'। शाकटीनः [ शकट+खा ] गाड़ी में समाने योग्य बोझ, शाखा [ शाखति गगनं व्याप्नोति-शाख+अ+टाप् ] बीस तुला के समान बोझ की तोल / 1. (वृक्ष आदि की) डाली, शाख-आवयं शाखाः शाकल (वि.) (स्त्री० ली) [शकल+अण ] टुकड़े --- रघ० 16619 2. भुजा 3. दल, अनुभाग, गुट से सम्बन्ध रखने वाला,-ल: ऋग्वेद की एक शाखा, 4. किसी कार्य का भाग या उपभाग 5. सम्प्रदाय, इस शाखा के अनुयायी (व०व०)। सम० प्राति. शाखा, पन्थ 6. परम्परा प्राप्त वेद का पाठ, किसी शाख्यम् ऋग्वेद का प्रातिशाख्य, शाखा नग्वेद का सम्प्रदाय द्वारा मान्यताप्राप्त परम्परागत पाठ यथा परम्परागत पाठ जो शाकल शाखा में प्रचलित है। शाकल शाखा, आश्वलायन शाखा, बाष्कल शाखा शाकल्यः [शकलस्थापत्यम् -यन] एक प्राचीन वैयाकरण आदि। सम० - चन्द्र न्यायः दे० 'न्याय' के अन्तर्गत, जिसका उल्लेख पाणिनि ने किया है (कहा जाता है | ... नगरम्, -पुरम् नगराञ्चल, नगर परिसर,...पित्तः 127 For Private and Personal Use Only