________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शः [शो+ड] 1. काटने वाला, विनाशकर्ता -कि० 15 // की गई हो, स्तुति की गई हो 2. बोला गया, कहा 45 2. शस्त्र 3. शिव,-शम् आनन्द--भर्तृ० 2 / 16 / / गया, उक्त, घोषित 3. अभिलषित, इच्छित 4. निश्चय शंयु (वि.) [शं शुभम् अस्त्यस्य -शम् + युस्] प्रसन्न, | किया गया, स्थापित, निर्धारित 5. जिस पर मिथ्या समृद्ध भट्टि० 4 / 18 / दोषारोपण किया गया हो, कलंकित / शंवः [शम्+व] 1. प्रसन्न, भाग्यशाली-(पुं०) 1. ठीक शंसिन् (वि.) [शंस+इनि] (प्रायः समास के अन्त दिशा में हल चलाना 2. इन्द्र का बज 3. मूसल का में) 1. श्लाघा करने वाला 2. कहने वाला, घोषणा सिर जो लोहे का बना होता है। करने वाला, संसूचित करने वाला,---प्रजावती दोहदशंस (भ्वा० पर० शंसति, शस्त, कर्मवा० शस्यते) शंसिनी ते--रघु० 14145 3. संकेत करने वाला, 1. प्रशंसा करना, स्तुति करना, अनुमोदन करना पहले से कह रखने वाला मानः क्षतहकारशंसिनः -साधु साध्विति भूतानि शशंसुर्मारुतात्मजम्--राम, -कु० 2026, प्रार्थनासिद्धिशंसिनः - रघु० 1142, भग० 5.1 2. कहना, बयान करना, अभिव्यक्त शि० 977 4. शकुन बताने वाला, भविष्य कथन करना, प्रकथन करना, संसूचित करना, घोषणा करने वाला-रघु० 3 / 14, 12 / 90 / करना, विवरण देना (संप्र० या कभी संबं० के साथ शक i (स्वा० पर० शक्नोति, शक्त) 1. योग्य होना, अथवा स्वतंत्र रूप से)-शशंस सीता परिदेवनान्तमनु सक्षम होना, सबल होना, अमल में लाना (प्रायः ष्ठितं शासनमग्रजाय--रघु० 14183, न मे ह्रिया 'तुमन्नन्त' के साथ, प्रयुक्त होकर सकना' अर्थ प्रकट शंसति किचिदीप्सितम् - 3 / 5, 2068, 4172, 9 / 77. करना)-अदर्शयन् वक्तुमशक्नुवत्यः शाखाभिरावर्जित११४८४, कु० 3 / 60, 5 / 51 3. संकेत करना, कह पल्लवाभिः-रघु० 13 / 24, भट्टि० 3 / 6, मेघ०२० रखना, जताना-यः (अशोकः) सावज्ञो माधवश्री- कभी कभी कर्म० या संप्र. के साथ-मनु० 12194 नियोगे पुष्पैः शंसत्यादरं त्वत्प्रयत्ने--मालवि० 5 / 8, 2. सहन करना, बर्दाश्त करना 3. शक्तिशाली होना कि० 5 / 23, कु० 2 / 22 4. आवृत्ति करना, पाठ .. कर्मवा० समर्थ होना, सम्भव होना, व्यवहार के करना 5. चोट मारना, क्षति पहुँचाना 6. बुरा भला योग्य होना (निम्नांकित तुमनंत को कर्मवा. का कहना, बदनाम करना, अभि-, 1. अभिशाप देना अर्थ देना) .... तत्कर्तुं शक्यते 'यह किया जा सकता 2. दोषारोपण करना, निन्दा करना, बदनाम करना है', इच्छा० (शिक्षति) 1. समर्थ होने की इच्छा करना --याज्ञ० 3 / 286 3. प्रशंसा करना, आ-(प्रायः आ) 2. सीखना। 1. आशा करना, प्रत्याशा करना, इच्छा करना, अभि- | ii (दिवा० उभ०-शक्यति-ते, शक्त) 1. समर्थ लाषा करना-स्वकार्यसिद्धि पुनराशशंसे--कु० 3 / होना, अमल में लाने की शक्ति रखना 2. सहन 57, संग्रामं चाशशंसिरे-भट्टि०१४।७०, 90, मनोर करना, बर्दाश्त करना। थाय नाशंसे कि बाहो स्पन्दसे वृथा--श० 7 / 13, शकः [ शक्+अच् ] 1. एक राजा (विशेषतः 'शालि२॥१५ 2. आशीर्वाद देना, सदिच्छा प्रकट करना, वाहन', परन्तु इस शब्द के सही अर्थ तथा क्षेत्र के मंगल कामना करना एवं ते देवा आशंसन्तु-मुच्छ० विषय में अभी तक विद्वानों में मतैक्य नहीं हो सका) 1, राज्ञः शिवं सावरजस्य भूयादित्याशशंसे करण 2. काल, सम्वत् (यह शब्द विशेष रूप से शालिवाहन रबाह्यः --रघु० 14150 3. कहना, वर्णन करना सम्वत् के लिए जो खीस्ताब्द से 78 वर्ष के पश्चात् --आशंसता वाणगति वृषांके कार्य त्वया नः प्रतिपन्न आरम्भ हुआ, प्रयुक्त होता है),-काः (पुं०ब.व.) कल्पम्-कु० 3 / 14 . प्रशंसा करना 5. दोहराना, 1. एक देश का नाम 2. एक विशेष जन-जाति या प्र-, सराहना, स्तुति करना, अनुमोदन करना, गुण राष्ट्र का नाम (मनु० 10 // 44 में 'पौण्डक' के साथ कथन करना, श्लाघा करना-हरिणायुवतिः प्रशशंसे इस शब्द का भी प्रयोग मिलता है) सम.- अन्तकः, --गीत० 1, यच्च वाचा प्रशस्यते-मनु० 5 / 127, -अरिः राजा विक्रमादित्य के विशेषण जिसने शकों प्रांशंसीत्तं निशाचर:-भट्टि० 12 / 65, रघु० 5 / 25, का उन्मूलन किया,-अम्बः शकसंवत् का वर्ष,-कत, 17136 / -कृत् (पुं०) संवत् का प्रवर्तक / शंसनम् [शंस-+ ल्युट ] 1. प्रशंसा करना 2. कहना, वर्णन शकटः, टम् [शक+अटन् ] गाड़ी, छकड़ा, भार ढोने की करना 3. पाठ करना। गाड़ी-रोहिणी शकटम्-पंच० 11213, 211, याह. शंसा [शंस्+अ+टाप् ] 1. श्लाघा 2. अभिलाषा, 3 / 42, --ट: 1. सैनिक व्यूहविशेष-मनु० 7.187 इच्छा, आशा 3. दोहराना, वर्णन करना / 2. एक विशेष प्रकार की तोल जो एक गाड़ी-भर शंसित (भू. क.कृ.) [शंस्+क्त ] 1. जिसकी श्लाघा बोझ या 2000 पल के बराबर है 3. एक राक्षस का For Private and Personal Use Only