________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फैलाये हों तो हाथों की अंगुलियों के कोरों के बीच | व्यालोल (वि०) [वि+आ।-लोड्-+ अच्, उस्यल:] की दूरी। 1. कांपने वाला, थरथराने वाला 2. अव्यवस्थित, अस्तव्यामिश्र (वि.) [वि+आ+मित्र+अच्] मिला हुआ व्यस्त व्यालोलः केशपाशः गीत०११ / मिश्रित, गड्ड-मड्ड किया हुआ। व्यावकलनम् [वि+आ+अव+कल+ल्युट] घटाना। व्यामोहः [वि+आ+मह+घा] 1. प्रणयोन्माद व्यावक्रोशी, व्यावभाषी |वि+आ-|-अवश (भाष) 2. व्याकुलता, परेशानी, बेचैनी कंसस्यालमभूज्जितं +णिच+अञ डीप] परस्पर दुर्वचन कहना, जितमिति व्यामोहकोलाहल: गीत० 10, काव्या० आपस की गालीगलौज / 3 / 101 / व्यावर्तः [वि+आ+-वृत्+घञ्] 1. घेरना, लपेटना व्यायत (भू० क० कृ०) [वि+आ+यम्+क्त | 2. क्रान्ति, भ्रमण, चक्कर खाना 3. फटी हुई अर्थात् 1. लम्बा, विस्तृत --युवा युगव्यायतबाहुरंसल:--रघु० आगे को निकली हुई नाभि / 3 / 34 2. फुलाया हुआ, खुला हुआ 3. जिसने व्यायाम व्यावर्तक (वि.) (स्त्री० ---तिका) |वि+आ+वत् किया है, अनुशिष्ट 4. व्यस्त, काम में लगा हुआ, 1-णिच् +खुल] 1. लपेटने वाला, घेरा डालने वाला अधिकृत 5. कठोर, दृढ़ 6. मजबूत, गहन, अत्यधिक | 2. निकालने वाला, अपवर्जन करने वाला, वियुक्त 7. ताकतवर, शक्तिशाली 8. गहरा कु० 5 / 54 / करने वाला 3. मुड़ने वाला 4. मोड़ खाने वाला। व्यायतत्वम् [व्यायत+त्व] पुट्ठों का विकास श० | व्यावर्तनम् [वि-आ वृत् + ल्युट्] 1. घेरना, लपेटना 214 / 2. घूमना, मुड़ना चक्करखाना कि० 5 / 30 व्यायामः [वि+आ-यम्+घण] 1. बिस्तार करना, 3. रस्सी आदि का गोल लपेट, पट्टी। फैलाना 2. कसरत, शारीरिक व्यायाभों का अभ्यास व्यावल्गित (भू० क० कृ०) [वि+आ+वल्ग्+क्त] —शि० 2 / 94 3. थकान, श्रम 4. प्रयत्न, चेष्टा पसीजा हुआ, द्रवित, विक्षुब्ध। 5. वाग्युद्ध, संघर्ष 6. दूरी की माप विशेष (=व्याम व्यावहारिक (वि०) (स्त्री०-की) [व्यवहार+ठक्] 1. व्यवसाय संबंधी, प्रयोगात्मक 2. कानूनी, वंध 3. व्यायामिक (वि.) (स्त्री० की) [व्यायाम+ठक] प्रथागत, प्रचलित 4. भ्रमात्मक-तु० प्रातिभासिक,-कः मल्लविद्या-विषयक, शारीरिक कसरत संबंधी। / परामर्शदाता, मंत्री। व्यायोगः [वि-+-आ--युज+घन] नाट्यसाहित्य में एक | व्यावहारी [वि---आ+अव+ह-:-णिच् + अ +ङीप्] प्रकार का एकांकी नाटक, सा० द०५१४ पर इसकी पारस्परिक बंधन, लेन देन / निम्न परिभाषा दी गई है-ख्यातेतिवृत्तो व्यायोगः | व्यावहासी ।वि+आ+ अव+हस + णिच् +अञ+ स्वल्पस्त्रीजनसंयुतः / हीनो गर्भविमर्षाभ्यां नरबहु- डीप् ] पारस्परिक अवज्ञा, एक दूसरे की हंसी भिराश्रितः / एकांकश्च भवेदस्त्रीनिमित्तसमरोदयः / उड़ाना। कैशिकीवत्तिरहितः प्रख्यातस्तत्र नायकः / राजर्षिरथ | व्यावृत्तिः (स्त्री० [वि+आ+ वृत्+क्तिन्] 1. आवदिव्यो वा भवेद्वीरोद्धतश्च सः / हास्यशृङ्गारशान्तेम्य रण, परदा डालना 2. निकाल देना, निष्कासन / / इतरे ऽत्राङ्गिनो रसाः // व्यावृत्त (भू. क. कृ०) [ वि-1-आ+वृत्+क्त ] व्याल (वि.) [वि-1-आ+अल्--अच्] 1. दुष्ट, दुर्व्यसनी 1. हटाया हुआ, वापिस लिया हुआ--व्यावृत्ता यत्पर -व्यालद्विपा यन्तुभिरुन्मदिष्णव:---शि०१२।२८, यंता स्वेभ्यः श्रुतौ तस्करता स्थिता-- रघु० 121, गज व्यालमिवापराद्धः-- कि० 17125 2. बुरा, विक्रम० 19 2. वियुक्त किया गया, अलग हटाया पापिष्ठ 3. क्रूर, भीषण, बर्बर कि० 1314, लः हुआ 3. निकाला हुआ, एक ओर रक्खा हुआ4. 1. खूनी हाथी व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसी रोदधु चक्कर खाया हुआ, मुड़ा हुआ 5. लपेटा हुआ, घिरा समुज्जम्भते - भर्त० 26 2. शिकार का जानवर हुआ 6. रुका हुआ, उपरत–कु० 2 / 65 7. फाड़कर 3. साँप-हि० 3 / 29 बाधमा० 35 5. चीता टुकड़े टुकड़े किया हुआ। 6. राजा 7. ठग, बदमाश 8. विष्णु / सम० खलः, ध्यासः [ वि+अस्+घंश ] 1. वितरण, विभाजन 2. --मखः एक प्रकार की बूटी, -प्राहा, प्राहिन समास का विग्रह या विश्लेषण 3. अलगाव, पृषक्ता (पुं०) सपेरा,-मुगः 1. जंगली जानवर 2. शिकारी 4. प्रसार, फैलाव 5. अर्ज, चौड़ाई 6. वृत्त का व्यास चीता, रूपः शिव का विशेषण / 7. उच्चारणदोष 8. व्यवस्था, संकलन 9. व्यवस्थापक, व्यालकः [व्याल |-कन् दुष्ट या खुनी हाथी। संकलयिता 10. एक प्रसिद्ध ऋषि का नाम (यह पराव्यालम्बः [विशेषेण आलम्बते वि+आ+-लम्ब +अच्] शर का पुत्र था, सत्यवती इसकी माता थी) (सत्यएक प्रकार का एरंड का पौधा। वती का शन्तन के साथ विवाह होने से पूर्व इसका For Private and Personal Use Only