________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोत्तरंब्राह्मणाःप्रतिवचनंदद्युः॥ ब्राह्मणानांहस्तेसुप्रोक्षितमस्तु // शिवा आपःसंतु॥ ॐ संतुशिवाआपः // सौमनस्यमस्तु // अस्तुसौमनस्यं // अक्षतंचारिष्टंचास्तु // अस्त्वक्षतमारिष्टंच // गंधाःपांतुसौमंगल्यंचास्त्वितिभवंतोब्रुवंतु ॥ॐ गंधाःपांतुसौ / मंगल्यंचास्तु // एवंसर्वत्र // अक्षताःपांतु आयुष्यमस्त्वि०॥ ॐ अक्षताःपांतुआ. युष्यमस्तु // पुष्पाणिपांतुसौश्रियमस्त्वि०॥ ॐ पुष्पाणिपांतुसौश्रियमस्तु // तांबू / लानिपातुऐश्वर्यमस्त्वि० // ॐ तांबूलानिपांतुऐश्वर्यमस्तु // दक्षिणाःपांतुबहुधन / मस्त्वि०॥ ॐ दक्षिणाःपांतुबहुधनमस्तु // पुनरत्राःपांतुस्खचितमस्वि०॥पुनरत्राःपां। तस्वचितमस्त॥ यजमानआचार्यादीन्प्रणम्यश्रीर्यशोविद्याविनयोवित्तंबहपुत्रंचाया। ष्यंचास्त्वितिभवंतोब्रुवंतुइतिवदेत् ॥तेचश्रीर्यशोविद्याविनयोवित्तंबहुपुत्रंचायुष्यंचा / शिवाआप-सन्त्वित्यादिश्लोकामंत्राश्चदर्पणे उक्तास्तथापोदानींतनानामपाठदर्शनान्नात्रलिखिताः // For Private and Personal Use Only