________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir DAUNIAORAGAVACANADAGRAO क्षयकारकाः // 1 // // ततःकलशाभिमंत्रणं // // कलशस्यमुखेविष्णुः कंठेरुद्रःस शमाश्रितः॥ मूलेतस्यस्थितोब्रह्मामध्येमातृगणाःस्मृताः॥ 1 // कुक्षौतुसागराःसप्त / सप्तदीपावसुंधरा // ऋग्वेदोथयजुर्वेदः सामवेदोह्यथर्वणः // अंगैश्चसहिताःसर्वेक शलशंतुसमाश्रिताः॥३॥ // प्रार्थना // // देवदानवसंवादेमथ्यमानेमहोदधौ // उ त्पन्नोसितदाकुंभविधृतोविष्णुनास्वयं // 1 // त्वत्तोयेसर्वतीर्थानिदेवाःसर्वेत्वयिस्थि / ताः // खयितिष्ठतिभूतानित्वयिप्राणाःप्रतिष्ठिताः // 2 // शिवःस्वयंत्वमेवासिवि ष्णुस्त्वंचप्रजापतिः॥आदित्यावसवोरुद्राविश्वेदेवाःसपैतृकाः॥ 3 // त्वयितिष्ठति / सर्वेपियतःकामफलप्रदाः // त्वत्प्रसादादिमयज्ञंकर्तुमीहेजलोद्भव // 4 // सान्निध्यं / / कुरुमेदेवप्रसन्नोभवसर्वदा // 5 // नमोनमस्तेस्फटिकप्रभायसुश्वेतहारायसुमं // 1 स्पृशन्त्वनामिकाग्रेणकचिदालोकयपि // अनमंत्रणंसर्वत्रसदेवमनुमंत्रयेदितिदेवयाज्ञिकः॥ For Private and Personal Use Only