________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथस्त्रीनिधनेद्वितीयपरिणयनकालमाह // सिंधौ // प्रमदामृतिवासरानि वक्ति दाहविधिर्वरस्यच // विषमेपरिवत्सरेशुभोयुगुलेचापिमृतिप्रदोभवेदिपुिनरागवत कन्याविषयोगसमुत्पन्नाचेद्वैधव्ययोगहरकुंभविवाहः // सचवित्रजापतिएतादेव दायभौमाकिंवारेषुतिथिभद्राशताभिधम् // आश्लेषाकृनिधान // प्रातदवततूष्ण हना // 1 // जनुर्लग्नेरिपुक्षेत्रसंस्थितःपापखेचरःडातपर्याप्तंचर्वाज्यद्रव्यंयथामंत्र ताविषकन्यका // 2 // लग्नेशनैश्चरोयस्यात् // प्रथम गेहाह्यात्रिविधाविषकन्यका स्विष्टेतिक्रमणहोमशेषंसमाप्यदशविप्रान्भो / न्यविनिवृत्तये.. यथा // आज्यभागांतेपूर्वअम्बेअम्बिकेतिमंत्रेणदुर्गा : यैचवाहुतयः 1968 // त्वन्नोऽअग्नेइतिअग्नयेचाहतयः 1668 // इदंविष्णु है। हारितिविष्णवेचाहुतयः 1368 // अनंतरंअम्बे दुर्गायैआज्याहुतयः 1668 // For Private and Personal Use Only