________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit ॥२७॥णविमंचेताम्॥ यथाशक्तिब्राह्मणभोजनसंकल्पः॥ब्राह्मणेभ्योभूयसींदत्वातराशिषो सस्कार- // 1 // इतिमंत्रणवरपठितेनतांचाचम्यअत्रावसरेवधूवरौबंधनक्रमेणपरस्परंकंक भास्कर र पहिरः // इातसस्का भास्करेचतुर्थीकर्मप्रयोगः॥ ॥अथदेवकोत्थापनं // प्तिमौ // 1 // मंडपोहासनंकार्यसमेवाविषमा // समेषष्ठंदिनंवयंविषमेत्रिनवं / / त्यिजेदिति // 2 // अवस्थापनदिनात्परिगणना // विषमेत्रिनवंसमेषदिनंवह ज्य // चतुर्थपंचमसप्तमातिरिक्तंनाष्टमित्यर्थः // ज्योतिग्रता प्रतिपादिनमार भ्ययावत्षोडशवासराः // देवकोत्थापनंकार्यमुद्राहेचव्रतेदशेतिमा कायां // विवाहदिनमारभ्यनवत्रिषष्ठदिवसेषहासनमपिनकार्यमित्यु स्यनतुदेवकादेरितिद्रष्टव्यं // विवाहोत्तरंयुग्मेसमेद्वितीयचतुर्थादिकेघस्रोद ORGAJAROO G0000000000000000000000 // 27 // For Private and Personal Use Only