________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit संस्कार भास्कर // 272 // विमात्रेनिवेदयेत् // वंशदानंचतुर्थेन्हिकन्यादानांगमिष्यते // रात्रौकुर्यात्तीय मास्क शेकुयोगेपिनदुष्यति // पातोवावैधृतिर्वास्याच्चतुर्थेहनिचेद्यदि // तत्रैवापररात्रेस्या दैरिणीपूजनादिकमिति॥ एतत्कुयोगेपिचतुर्थेन्हिकार्यनान्यत्रेतितात्पर्यार्थः ॥वस्तु तस्तुनवीनग्रंथेषुएतस्यादर्शनान्नानादरणीयं // इतिशाकलकारिकायां॥ ॥अथव धूप्रवेशः॥ // वधूप्रवेशःप्रथमेतथैवशुभप्रदःपंचमकेथवान्हि // द्वितीयकेवाथचतुर्थ : केवाषष्ठेवियोगामयदुःखदःस्यात् // 1 // तथाचसंग्रहे // विवाहमारभ्यवधूप्रवेशो युग्मेतिथौषोडशवासरांतात् // उर्वततोब्देऽयुजिपंचमांतादतःपरस्तानियमोन चास्ति // 2 // अयुग्मेतृतीयंत्यवायुग्मेषष्ठविवर्जयेत् // प्राप्तकालेव्यतीपातवैध / तीसंक्रमंतथा॥ उपरागंश्राद्धदिनंवर्जयित्वाशुभेप्सुभिः॥३॥ ज्योतिःशास्त्रोक्तदि || // 272 // शवसेशुभकालेतथैवच // रात्रौवधूप्रवेशःस्यादिवानैवकदाचनेति // 4 // तत्रज्योतिः 000000000000000000 000000GAROO For Private and Personal Use Only