________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie CONG ष्णगोघृतंअष्टमाषं // कुशोदकंचतुर्मापं // अत्रभाषःपंचगुंजात्मकइतिधर्मसिंधौ || // मदनरनेकात्यायनः // // आग्यक्षीरंमधुतथामधुरत्रयमुच्यते // पयोदधि : तिचैवमधुशकरयायुतं // पंचामृतमिदंप्रोक्तंसर्वदेवप्रसादकं // // ब्राह्मे // // अ श्वत्थोदुंबरप्लक्षचूतन्यग्रोधपल्लवाः // पंचभंगाइतिप्रोक्ताःसर्वकर्मसुशोभनाः॥१॥ अश्वत्था€बरब्राह्मइतिपाठभेदः // तथाच // प्लक्षः॥ // यक्षकदमउक्तोगारुडे // कर्पूरमगरुश्चैवकस्तूरीचंदनंतथा॥ कंकोलंचभवेदोभिःपंचभिर्यक्षकईमः // तथा / कर्पूरंचंदनंदपकुंकुमंचसमांशकं // सर्वगंधमितिप्रोक्तंसमस्तसुरवल्लभं // 1 // कुंकुम ? केशरं // // कुष्ठमांसीहरिद्रेडेमुरांशैलेंयचंदनं // वचांचंपकमुस्तांचसौंषध्योदश 1 पिंपरी पारोसापिंपळ इतिप्रसिद्धः 2 दर्पकस्तुरी 3 कुष्ठकोष्ठ 4 मांसीजटामांसी 5 हरिदेवेआंबीहळद : व हळद 6 मुरामोरवेळ अथवावाळा 7 शेलेयंशिलाजित ८चंदनप्रसिद्ध ९वचावेखंड 10 मुस्ताभद्रमोथ। A000000000000000 For Private and Personal Use Only