________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit 5A60000000000000000 तोभूयास्त्वद्दानान्मोक्षमाप्नुयाम् // 3 // कन्यांलक्षणसंपन्नांकनकाभरणैर्युतां // दा स्यामिब्रह्मणेतुभ्यंब्रह्मलोकजिगीषया // 2 // पृथिव्यादिमहद्भूताःसाक्षिणःसर्वदे | वताः // इमांकन्यांप्रदास्यामिपितॄणांतारणायच // 3 // ममवंशकुलेजातापोषिता वत्सराष्टकं // तवविप्रमयादत्तापुत्रपौत्रप्रवद्धिनी // 4 // इमांकन्यांशुभांविप्रय / / थाशक्तिविभूषितां // गोत्रायशर्मणेतुभ्यंदत्तांविप्रसमाश्रय // 5 // इतिप्रार्थ्य // त्रिचतुर्थश्लोकस्यद्वितीयपादेयथाकन्यावयोब्दास्तथैवोच्चारणीयं // पोषितानववर्ष कंदशवर्षकमिति // ब्राह्मणेभ्योगंधतांबूलभूयसींदक्षिणांचदत्वा // तैराशिषागृही त्वा यथाशक्तिब्राह्मणभोजनसंकल्पः // अनेनकन्यादानाख्येनकर्मणाश्रीलक्ष्मी SACROACACAGARRORGAGRORORORA For Private and Personal Use Only