________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandi PICASIOS स्ववासः // 1 // इतिमंत्रपाठोवरस्य // अथोत्तरीयवासोवरःकन्यायैसमर्पयतिम | त्रमुकातांपरिधापयति // ॐ याऽ अकृन्तन्नवयंयाऽ अतन्वत // याश्चदेवीस्तन्तून भितोततन्थ // तास्त्वादेवीर्जरसेसंव्ययस्वायुष्मतीदम्परिधत्स्ववासः // 1 // ततः कन्यापितावधूवरयोःपरस्परंसमंजेथामितिप्रेषदद्यात्॥संमंजनंसम्मुखीकरणं ॥ॐ समजन्तुविश्वेदेवाःसमापोहृदयानिनौ // सम्मातरिश्वासन्धातासमुदेष्ट्रीदधातु है। नौ // 1 // सन्मुखीभूतोवरोमंत्रपठति // ततआचारप्राप्तंमांगल्यतंतुबंधनंकण्ठे : तत्रमंत्रः // मांगल्यतंतुनानेनममजीवनहेतुना // कंठेवन्नामिसुभगेवंजीवशरदांश? है,तं॥१॥ ॐयदावधन्दाक्षायणाहिरण्यर्छशुतानीकायसुमनुस्यमाना॥तन्मऽआबा, 1 वरस्यैवमंत्रपाठेतिहरिहरगदाधरौ // उभयोर्मत्रपाठेतिभर्तृयज्ञः // 2 समंजनंसंमुखीकरणमिति / हरिहरगदाधरौ।।परस्परंगात्रविश्लेषेतिभर्तृयज्ञः॥परस्परानुलेपनइति केचित् / For Private and Personal Use Only