________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandit संस्कार भास्कर // 244 // न्किामानवाप्नवानीतिमंत्रणोभाभ्यांप्रतिगृण्हाति॥ ततोषशिरसाभिवंद्यप्रागुदग्वा / निनयन्नभिमंत्रयते // ॐ समुद्भवःप्रहिणोमिखायोनिमभिगच्छत // अरिष्टास्माकं वीरामापरासेचिमत्पयः // 1 // इत्यनेनमंत्रेणानिनयेत् // आचमनीयमुदक/ माचमनीयमुदकमाचमनीयमुदकंप्रतिगृह्यतां॥अर्घ्य आचामति॥ ॐआंमागन्यश सासठसृजवर्चसा // तंमाकुरुप्रियम्प्रजानामधिपतिम्पशनामरािष्टिंतनूनाम् // 1 // इत्यनेनमंत्रेण // ततोडिराचमनं // मधुपर्कोमधुपर्कोमधुपर्कःप्रतिगृह्यतां // ततो| यितुर्हस्तेस्थितंमधुपर्कमय॑इक्षते // ॐ मित्रस्यत्वाचक्षुषाप्रतीक्षतेइत्यनेनमंत्रेण॥ देवस्यवेतिप्रतिगृहाति // ततोमधुपर्कप्रतिगृह्यसव्येपाणौकृत्वापिधाननिष्कास्य / 1 अर्यशिरसाभिवंद्य भूमोप्रवाह्याभिमंत्रयेदितिहरिहरगदाधरौ अवतुवासुदेवाशयोगृहीतः // | // 24 // | 2 आचमनार्थकमंडलुसंभृतंजलंगस्मार्ताचमनंकेशावाद्यैस्त्रिभिःपीत्वेत्यादि। For Private and Personal Use Only