________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandir संस्कार तुदक्षिणांगंभवेत्सदा // // छंदोगपरिशिष्टे // यत्रदिनियमोनास्तिजपादिषुकथं भास्कर चन // तिस्रस्तत्रदिशःप्रोक्ताऐंद्रीसौम्यापराजिता // 1 // तत्रैव // आसीनः प्रव्हऊ / ोवानियमोयत्रनेदृशः // तदासीनेनकर्तव्यंनप्रव्हेणनतिष्ठतेति // 1 // पंचाश गिर्भवेद्ब्रह्मातदर्धेनतुविष्टरः // दक्षिणावर्तकोब्रह्मावामावर्तस्तुविष्टरः॥ 1 // वेण्या / वावर्तुलंकृत्वावेण्यग्रेग्रंथिबंधनं // अनंतगर्भकंसाग्रंकौशंद्विदलमेवच // २॥प्रादेश मात्रविज्ञेयंपवित्रंयत्रकुत्रचित् // पवित्रेदर्भसंख्यामाह मार्कडेयः // चतुर्भि दर्भपिंजूलैर्ब्राह्मणस्यपवित्रकं // एकैकंन्युनमुद्दिष्टंवर्णेवर्णेयथाक्रमं // 1 // सर्वेषां वाभवेद्वाभ्यांपवित्रग्रंथितंनवा // चतुर्भिःशांतिकेकार्यपौष्टिकपंचभिस्तथा // 2 // सप्तपत्राःशुभादर्भास्तिलक्षेत्रसमुद्भवाः॥ अप्रसूताः स्मृतादर्भाः प्रसूतास्तुकुशाः / / स्मृताः॥ 3 // समूलाः कुतपाः प्रोक्ताश्छिन्नाग्रास्तृणसज्ञिताः // दर्भाः कृष्णाजि 30004AAOOR 0000000000CASIDOOGGore For Private and Personal Use Only