________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पतितःप्रागुक्तः // असपिंडामितिसापिंडयंवर्जनीयं // अथसापिंड्यनिर्णयः // व ध्वावरस्यवातातःकूटस्थाद्यदिसप्तमः // पंचमीचेत्तयोर्मातातत्सापिंड्यंनिवर्ततेइ / हाति। कूटस्थइतिमूलपुरुषमारभ्यात्रगणना // कूटस्थोमूलपुरुषोयतःसंतानभेदतः॥ संस्कारकौस्तुभे // दशभिःपुरुषैःख्याताच्छ्रोत्रियाणांमहाकुलात् // उद्हेत्सप्तमा / दूध्वतदभावेतुसप्तमी // पंचमीतदभावेतुपितृपक्षेष्वयंविधिरिति // सप्तमींचतथा षष्ठीपंचमींचतथैवच // एवमुद्दाहयेत्कन्यांनदोषःशाकटायनः॥ चतुर्थावातृता / यांवापक्षयोरुभयोरपि / विवाहयेन्मनुःप्राहपाराशर्योंगिरायमः // 1 // चतुर्थी ? मुहहेत्कन्यांचतुर्थःपंचमोवरः // पराशरमतेषष्ठीपंचमोनतुपंचमीं // इतिसापिंडय ? दीपिकायां // पंचमवरपंचमीकन्योबाहेव्यवस्थोक्ताविश्वरूपनिबंधे // द्वौपुत्रौपूर्व / जात्स्यातांतयोरपिचसंततिः // पंचम पंचमीकन्यांनतत्रवरयेद्विजः // 1 // टेक Pooaaooooooo For Private and Personal Use Only