________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार॥१८९॥ प्रजापतिःप्रीयतामित्यूहःकर्तव्यः // बहि:शालायांस्थंडिलेपंचभूसंस्कारपूर्वकंसूर्य | भास्कर. नामानिंप्रतिष्ठाप्य // ततोब्रह्मोपवेशनादिपात्रासादनंचरुवर्ज // पात्रसादनानंतरं / उपकल्पनीयानि // शीतोदकं // उष्णोदकं // नवनीतपिंडः // घृतपिंडोवा ॥त्र्ये / णीशलली // सप्तविंशतिकुशतरुणानि // ताम्रपरिष्कृतआयसक्षुरः॥ आनडहगो मयपिंडः // नापितोवरश्च // अत्रगौरेववरः // एतान्युपकल्प्य // पवित्रच्छेदना है शदिपर्युक्षणांतेआधारावाज्यभागौचहुत्वा // ततोमहाव्याहृत्यादिस्विष्टकृदंतदशाह / तयः // तद्यथा // ॐ प्रजापतयेस्वाहा इदंप्रजा०॥ ॐ इंद्रायस्वा० इदंइंद्रा०॥ॐ। अनयेस्वा० इदमः // ॐ सोमायस्वा इदंसोमा०॥ ॐ भूःस्वाहाइदमनः // ॐ भुवःस्वा. इदंवा० // ॐ स्वःस्वा• इदंसूर्याय० // ॐ त्वन्नोअग्रे इदमग्रीवरु०॥ // 189 // For Private and Personal Use Only