________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार-वेदःसपरिहणं // यच्छाखाकर्मकुर्वीततच्छाखाध्ययनंतथा // 1 // अधीत्यशा भास्कर. ॥१८६खामात्मीयामन्यशाखांततःपरं // स्वशाखांयः परित्यज्यशाखारंभःसउच्यते // al // 2 // पराशरः // वेदस्याध्ययनंसर्वधर्मशास्त्रस्यचैवहि // अजानतोर्थतयर्थतु ? षाणांकंडनंयथा // 1 // मनुः // योनधीत्यहिजोवेदमन्यत्रकुरुतेश्रमं // सजीवन्ने / वशुद्रत्वमाशुगच्छतिसान्वयः // 1 // इति // अत्रप्रतिवेदस्यारंभणंटथक्पृथक् // तत्पक्षेप्रतिवेदस्याहुतिद्वयंब्रह्मणेइत्यादिनवाहुत्यनंतरंमहाव्याहृत्यादिविष्टकृदं / सातादशाहुतीर्छवाहोमशेषंसमाप्यवेदारंभंकृत्वाअभ्यसेत् // ततःपरंद्वितीयस्यनांदी| श्राद्धाद्यारंभः // एवंसर्वत्र // तदशक्तौएकतंत्रेणनांदीश्राद्धमेकमेवेतिप्रतिवेदस्याहु / तिद्वयंब्रह्मणेछंदोभ्यश्चहुवाअंतप्रजापत्यादिसप्ताहुतीर्हखाअनंतरमहाव्याहृत्यादि / 186 // दशाहुतयः // तत्रायंक्रमः // वेदाख्येमातृनांदीमुखमथजुहुयाहन्हिवकेंतरिक्षवायु / 00000000Sarorobordose For Private and Personal Use Only