________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार- संध्यादिकंचन // ततोमध्यान्हसंध्यादिसर्वकर्मसमाचरेदिति॥ // अत्रभिक्षाच भास्कर. // 171 / हार्यचरणं // ब्रह्मचारीपात्रंगृहीत्वा // भवतिभिक्षांदहि // इत्येवमुत्वाब्राह्मणोभिक्षां याचते // भिक्षाग्रहणोत्तरंब्रह्मचारी // ॐ स्वस्तीत्याशीर्वचनंदद्यात् // भिक्षांभव तिदेहीतिक्षत्रियः // भिक्षादेहिभवतीतिवैश्यः॥ यत्रप्रत्याख्याननकुर्वतितभिक्षा शर्थगच्छेत् // तिस्रोवाभिक्षाग्राह्या षड्वादशाऽपरिभितावा॥ आत्मनआचार्यस्यच। आहारपरिमितावधिवा // मातुःसकाशात्प्रथमभिक्षांयाचेतेत्येकेआचार्यामन्यते॥ अयंप्रथमोधर्मेतिकर्कः // यथोक्तांभिक्षांभिक्षयित्वाआचार्यायभैक्षनिवेदयेत् // मुंश्वत्याचार्यानुज्ञातोभिक्षांखीकुर्यादितिभिक्षाचर्यचरणं // वाग्यतोहः शेषतिष्ठे IT1 अत्रमध्यान्हसंध्याकार्येत्युक्तंगदाधरे प्रयोगपरिजातेच // नेतिकृष्णभट्टीकारः॥ ब्रह्मयज्ञस्तुद्विती // 171 // यदिनमारभ्यगायत्र्याकार्यइतिधर्मसिंधुः॥ 0000-00ADASAGAR AA00000RRORA For Private and Personal Use Only