________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 0000 कला -0000 रिण्युञ्जायते // 11 // एषवैक्लप्तिामयज्ञोयत्रतेनयज्ञेनयजन्तसुर्वमेवलप्तम्भव ति // 12 // एषवैप्रतिष्ठानामयज्ञोयत्रैतेनयज्ञेनयजन्तेसुर्वमेवप्रतिष्ठितम्भवति // A // 13 // ॐ प्रतिष्ठासुप्रतिष्ठितमस्तु // ब्रह्मवर्चसीभव // आब्रह्मन्नित्याशिषदद्युः॥ ततःप्रेषद्वयं // ब्रह्मचर्यमागामीतिब्रूहीत्याचार्योवदति // ब्रह्मचर्यआगामीतिकुमा / रोब्रूयात् // ब्रह्मचारीप्राङ्मुखस्तिष्ठन्ब्रह्मचर्यमागामीतिब्रूयादितिगदाधरादयः॥उ दङ्मुखइतिरेणुदीक्षिताः // ब्रह्मचार्यसानीतिब्रूहीत्याचार्योवदति // ब्रह्मचारी सानीतिबटुयात् // अथाचार्योमाणवकस्यकटिसूत्रंबद्धाकौपीनंपरिधापयति // ॐ येनेन्द्रायसहस्पतिर्वासापर्यदधादमृतं // तेनखापरिदधाम्यायुषेदीर्घायुवायवला ? यवर्चसे // 1 // इत्यनेनमंत्रेण // आचमनं // ततआचार्योंमाणवकस्यकटिप्रदेशे AASAde0 For Private and Personal Use Only