________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie संस्कार देः प्रकुर्वीतकुमारंव्रतचारणमितिपराशरोक्तेः // पतीसितेज्यौविप्राणांनृपाणांकुज / भास्कर. // 15 // भास्करौ // वैश्यानांशशभृत्सौभ्यावितिवर्णाधिपाःस्मृताइतितेनैवव्यवस्थाप्रदर्श नाच्च // मदनरत्नेराजमार्तडः // पितुःसूर्यवलं श्रेष्ठंशाखावर्णेशयोटोः // सर्वेषांगुरु / चंद्रक्षेवलं श्रेष्ठंव्रतादिषु // मौंजीबंधेविवाहेचप्रतिष्ठायांविशेषतइति ॥सर्वेषामित्यने / नयेषांनशाखाधिपोगुरुस्तेषामपिबदनांतत्पितॄणांचगुरुबलमावश्यकं // उभयोर / लाभेवटोरावश्यकमितिध्वन्यते // संकटेचंद्रताराद्यभावेप्यधिकारायदानमुक्तं / ज्योतिर्निबंधे // चंद्रेचशंखलवणंचवारेदिनेविरुद्धत्वथतंडुलांश्च ॥धान्यंचदद्यात्क धारणेतथाभेयोगविरुद्धकनकंचदेयमिति // दिनतिथौ // नित्यकालेबटोर्गुरुबलाला भेशांत्यातत्कालः // अनित्यकालेनैवमित्याहनारदः॥ बालस्यबलहीनोपिशांत्या | // 151 // जीवोबलप्रदः // यथोक्तवत्सरेकार्यमनुक्तेनोपनायनमिति // केपुचिडुष्टस्थानेषुस्थि OMPOPUNE For Private and Personal Use Only