________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार 00000000000000 हालसिंहासनस्थश्च राहुश्चात्रप्रशस्यते // 7 // धूम्राहिवाहवःसर्वैगदिताविकृताननाः॥ | भास्कर. गृध्रासनगतानित्यंकेतवःस्युर्वरप्रदाः // 8 // सर्वेकिरीटिनःकार्याग्रहालोकहिताव।। हाः // स्वांगुलेनोच्छ्रिताःसर्वेशतमष्टोत्तरावधि // 9 // देशाः॥ उत्पन्नोक कलिंगेपुई यमुनायांचचंद्रमाः॥अंगारकस्त्वंत्यांचमगधायांहिमांशुजः // 1 // सैंधवेषुगुरुर्जा तःशुक्रोभोजकटतथा॥ शनैश्चरस्तुसौराष्ट्रेराहुर्वैराठिनापुरे // अंतर्वेद्यांतथाकेतुरित्ये ताग्रहभूमयः // गोत्राणि // आदित्यःकाश्यपेयस्तुआत्रेयश्चंद्रमाभवेत् // भारहा। जोभवेद्भौमस्तथात्रेयश्वसोमजः॥गुरुश्चैवां गरोगोत्रःशुक्रोवैभार्गवस्तथा ॥शनिःका / श्यपएवाथराहुःपैठिनसःस्मृतः॥ केतवोजैमिनीयाश्वग्रहगोत्राणिकीर्तयेत् // सका। रेणतुवक्तव्यं गोत्रसर्वत्रधीमता // सकारःकुतुपोज्ञेयस्तस्माद्यत्नेनतंवदेत्॥ ॥स्था | // 62 // नानिस्कांदे // वृत्तमंडलमादित्येचतुरस्त्रंनिशाकरे॥ महीपुत्रेत्रिकोणंतुबुधेवैवाणसी For Private and Personal Use Only