________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐ लक्ष्म्यैन लक्ष्मी०॥ 59 // ॐ धृत्यै धृतिआ० // 60 // मेधायैनमःमेधा // 61 // ॐ पुष्टयै पुष्टिं० ॥३२॥ॐ श्रद्धायै० श्रद्धांआ० // 63 // ॐ सरस्वत्यै स / शरस्व आ०॥६४॥ इत्यावाह्य॥ एवंषड्विनायकादि घृतमातृकांतंचतुषष्टिमातृणांस्था | पनामनोजूतिरितिमंत्रणप्रतिष्ठाप्य // समख्येदेव्याधियाइतिमंत्रणसर्वाःषोडशोप/ चारैःसंपूजयेत्॥ ॐसमख्येदेव्याधियासन्दक्षिणयोरुचक्षसा॥मामऽआयुरप्प्रमोपी मोऽअहन्तवंबीरम्विदेयतर्वदेवसुन्दृशीं॥ ततोयजमानःस्थापितमातृकंशूर्पस्वयंग / / हीत्वापत्न्याचविघ्नकलशंग्राहयित्वापत्न्यग्रतःसन्मंडपतोगृहमध्येदेवस्याग्रेतत्सर्व / शस्थापयेत् // तहामपार्श्वेदीपंनिदध्यात्।।ततःकुड्येआवाहितघृतमातृणामुपरिनाग / वल्लीदलेनगुडयुक्तेनकेवलेनवाघृतेनाभितोधारांवसोःपवित्रमितिमंत्रेणपातयेत् ॥सा / For Private and Personal Use Only