________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[५३] श्रीउदयरतन विरचित शंखेश्वरपार्श्वनाथस्तधन अजब बनी हे मूरती जिनकी अजव० निरखत नेन थकीत भये मेरे । मीट गई पलकमें मूढता मनकी. ।। अजव० (१) अंगे अंगीया अनुपम ओपे । झगमग ज्योति झराव रतनकी ॥ अजब० (२) प्रभुकी महेर नजर पर थारू । तनमन सव कोरा कौरि धनकी ॥ अजब० (३) अहनिश आंण वहे शिर नुरपति । मनमोहन अश्वसेन सुतनकी ॥ अजब० (४) उदयरतनप्रभु पास शंखेश्वर । मान लीओ खिजमति सष दीनकी ॥ अजव० (५)
[५४] श्रीउदयरतन विरचित श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन प्यारो पारसनाथ, पूजाओं रसिया प्यारो० पारसनाथके शिर पर सोहे।
जडित मुंगत फणी उलसीया ॥ प्यारो० (१) केशरमें प्रभु पास शंखेश्वर ।
रहे गरकाव मेरे दील वसिया ॥ प्यारो० (२) चिहुं दिशि दीपक ज्योति विराजे ।
याथौ पाप तिमिर तो खसीया ॥ प्यारो० (३)
For Private And Personal Use Only