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मन्व-ब्राह्मणम् । समेत पश्यत ॥ सौभाग्य मस्यै दत्वा याथास्तं विपरतन॥८॥समन्चन्तु विखे देवाः समापो हृदयानि नौ॥ 'ते' तव मया सह 'सख्य' 'योषाः' स्त्रियः विदुषिकाः समस्ताः 'मा' विच्छिन्दन्तु इति शेषः । अपितु 'मायोष्टयाः' अस्मात् मुखहितैषिणः स्त्रियः 'ते' तव तत् सख्य मया सह सखित्वं वई यन्त्विति शेषः ॥७॥
हे ईक्षकाः ! यूयं 'समेत' एकत्रीभूत्वा पागच्छत, ऐत्य च 'इयं परिणीता वधूः' 'सुमङ्गली: कलयाणी इति मत्वा 'इमो' “पश्यत !' किञ्च 'अस्यै 'सौभाग्य” दत्वा ( आयोभिरितियावत् ) अस्तं गृहं विपरेतन याथाः' प्रत्यात्तं गच्छत ॥ ८ ॥ __ 'विश्वेदेवाः' दृश्यमानाः दीप्यमानाः समस्ताः पदार्थजाता 'नौ आवयोः 'हृदयानि' 'समञ्जन्त' शोधयन्तु । 'आप:'
এই একত্র সপ্তপদগমনা কন্যা, তুমি চিরদিনের জন্য আমার সহচারিণী হও। আমি ত্বদীয় সখ্য ভােগ করি ! তােমার সহিত সুদৃঢ় সংস্থাপিত এই সখ্য (ঘরভাঙানি) বিচ্ছেদকারিণী স্ত্রীগণে বিচ্ছিন্ন করিতে না পারে ! বরং অস্মদাদির হিতৈষিণী ভদ্রা স্ত্রীরা এই অভিনব সঞ্জাত সখ্য সদুপদেশ প্রদানাদি দ্বারা ক্রমে পরিবর্ধিত করিতে থাকুন ॥৭
হে পরিদর্শকগণ! তােমরা একত্র হইয়া এই অগ্নিসমীপে আগমন কর, অনন্তর এই পরিণীতা বধূকে কল্যাণকারিণী বিবেচনায় দর্শন কর এবং ইহাকে আশীৰ্বাদ-বলে সৌভাগ্য প্রদান করত নিজ নিজ নিকেতনে প্রতি গমন कत ॥ ८- अनष्ट व क्वन्दः । आशास्य माना देवता । दर्शक-प्रतिमन्त्रणे विनियोगः ।
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