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ऋषिमंडल ॥मायाबीज॥
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मंत्र शास्त्र में ॐ को प्रणव अक्षर और ही को मायाबीज बताया है। बीज उसीका नाम है कि जिसमें वृक्ष पैदा करने की शक्ति हो, गेहूंका बीज गेहूं पैदा करता है, और चांवल के बीज से चांवल पैदा होते हैं तदनुसार ही को शास्त्रकारोंने बीजाक्षर बताया है, और फिर साथ ही माया नाम दिया गया इस लिये इसका स्पष्टीकरण करना आवश्यकिय है । माया अर्थात् लीला या प्रताप कुछ भी कह दीजिये जिस में पैदा करने की शक्ति है उसका नाम बीज है और फैलाने का नाम माया है।
ही में भी एसी अनुपम शक्ति का समावेश होना चाहिये कि जिसमे स्वर व्यंजन के अक्षरों को उत्पन्न करने की शक्ति हो, और ठीक भी है क्योंकि मायाबीज का मतलब तो तब ही सिद्ध हो सकता है कि उपरोक्त कथनानुसारसिद्ध हो सके।
मायाबीज सिद्ध करने के लिये ही का चित्र पाठकों के सामने है, इसको ध्यान देकर देख लेवें और बाद में रेखा चित्र जिसमें ही के पांच विभाग बताये गये हैं उनको भी खूब ध्यान देकर देख लें, और आप भी इस तरह से ही के
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