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ऋषिमंडल - स्तोत्र
तर्जनी का मध्य नौवां तर्जनी के अंतका पेरवा दशवां मध्यमा के अंतका ग्यारहवां अनामिका के अंतका, बारहवां कनिष्ठा के अंतका इस तरह बारह हुवे, बाद में मध्यमा के बोचका तेरहवां, अनामिकाके मध्यका चौदहवां, कनिष्ठाके मध्यका पन्द्रहवां, कनिष्ठा के नीचे याने अंतका सोलहवां, अनामिकाके नीचेका सत्तरहवां, मध्यमाके उपरका अट्ठारहवां, तर्जनीके उपरका उन्नीसवां, तर्जनीके मध्यका बीसवां, तर्जनीके अंतका इक्कीसवां, मध्यमा के नीचेका बाइसवां, अनामिकाके नीचे तेइसवां, कनिष्ठाके नीचे चौबीसवां, इस तरह चौबीस तीर्थकरों की स्थापना वाले ही आवर्त में उङ्गलीयों पर चौबीस जिनका जाप इस तरह कर सकते हैं । यह आवर्त ही उपासना के लिए आदरणीय है, और इस पद्धति से जाप करे तो शुभ है । मालाविचार
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माला मोतीयोंकी, मूंगाकी, अकलबेरकी, केरवेकी, स्फटीककी, सोनेकी, चांदीकी, सुतकी और चंदनकी बताई गई है लेकिन ऋषिमंडल के मूलमंत्र का ध्यान करने के लिये सफेद या पीले रंग की माला लेना चाहिए । माला स्फटिक या केरवेकी हो अथवा सूतकी हो जैसी जिसको सम्पादन हो सके उपयोग करे ।
॥ सम्पूर्ण ॥
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