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ऋषिमंडल मंत्रभेद
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८३
स्थापना
ॐ ह्रीं ऋषभ० (२४) तीर्थकर परमदेवा तस्याघिष्टायकादेवा अत्र तिष्ठ ठः ठः स्वाहाः ॥
॥ सन्निहीकरमंत्र ॥
ॐ ह्री ऋषभ० (२४) वर्द्धमानांता तीर्थङ्कर परमदेवा तस्याधिष्ठायकादेवा अत्र मम सन्निहिता भववषट ॥
इस मंत्र को बोलकर तीर्थङ्करोकी स्थापना व यंत्र में जो स्थापना है उनकी अष्ट द्रव्यसे पूजा करना, और प्रत्येक - पूजा का श्लोक बोलकर ( पूजा के श्लोक अष्ट प्रकारी पूजामे से बोलना ) प्रत्येक श्लोक के बाद बोलनेके मंत्र इस तरह हैं ।
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(जल) ॐ ही ऋषभ वर्द्धमानेभ्योस्तीर्थङ्कर परमदेवोभ्य जलं चर्चयामिति स्वाहा: ॥ (चंदन) ॐ ह्रीं ऋषभ बर्द्धमानेभ्योस्तिर्थङ्कर परमदेवोभ्य गंधय चर्चयामिति स्वाहाः ॥ (पुष्प) ॐ ही ऋषभ० वर्द्धमानेभ्यो स्तिर्थङ्कर परमदेवेभ्यो पुष्पं चर्चयामिति स्वाहा: (अक्षत) ॐ ही ऋषभ० वर्द्धमानेभ्योस्तिर्थङ्कर परमदेवेभ्यो अक्षतं चर्चयामिति स्वाहा ॥