________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
इस ग्रन्थ के प्रकाशन-व्ययदात्री का परिचय
आज से कुछ समय पूर्व आरा नगरी में श्रीमान् वा० विष्णुचन्द जी नामक एक धार्मिक एवं उदार धनी-मानी श्रावक रहते थे। आप को एक लड़की के सिवा और कोई सन्तान नहीं थी। आपका विचार एक धार्मिक दृष्ट करने का था पर अचानक मृत्यु के कारण आप ऐसा न कर सके। आप की बहन श्रीमती मैनासुन्दर मा बडी धार्मिक प्रकृति की देवी थी। इन्होंने अपने जीवन में आरा में एक धर्मशाला और एक मन्दिर बनाने के लिये अपनी सारी चल और अचल सम्पत्ति का ट्रष्ट बनाकर अपने पूज्य भ्राता श्रीमान् बा० विष्णुचन्द जी को मुतवली बनाया ।
श्रीमान् चा० विष्णुचन्द के मरने के उपरान्त आपकी सम्पत्ति की उत्तराधिकारिणी आपकी धर्मपत्नी श्रीमती लालमनी बीबी हुई। आपने भी शक्ति अनुसार दान-पुण्य किया। आपकी मृत्यु के पश्चात् सब सम्पत्ति आपकी सुपुत्री श्रीमती चम्पामनी बीबी और दामाद श्रीमान ब० भानुकुमार चन्द जी को मिली। श्रामा बा० भानुकुमार जी ने अपने जीवन में स्वर्गीय मैना सुन्दर का मन्दिर बनाकर अपने रुपयों से उसकी प्रतिष्ठा कराई तथा मैनासुन्दर धर्मशाला (मैनासुन्दर भवन) पारा भी आपके समय में ही तैयार हुई। इन सब धमे कार्यों का श्रेय श्रीमान बा० भानुकुमार
For Private And Personal Use Only