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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरत] [ અંજના मस्त-पुं० लोप पु० छिपाव सपा-१० (३० सताना अ० क्रि० सरतर-10 कपड़े का अस्तर पु० __ तकलीफ देना सस्त।- पाछना पु० उस्तरामणसा-म०० अलसाना अकि अस्ति-स्त्री. अस्तित्व पु. हस्ती मुर्माना २मस्तु-२५० ऐसा ही हो अ० श्रामीन माई-स्त्री. गर्मी में होनेवाली छोटी. सत्र-10 श्रायुध फु० हथियार । फुन्सियाँ अस्थायी-वि० अस्थिर पु. नालायम अस्थि-न० हड्डी स्त्री० [i] थरिथर-वि० चंचल पु० मनकूला - चिह्न पु० निशान; टेक अर-धु बीज से निकला हुआ अस्मिता-स्त्री० अपनत्व पु० अपनापन __ सफेद बाल सह-स० मैं स० अ -दवाव पु. काबू; हाथी अहि- भुजंग पु० सौंप __को हाँकने का लौह-दंड अहिंसा-स्त्री० हिंसा न करना या- अकुड़ा पु० यस-10 अत्र अ० यहाँ -० शरीर पु० बदन; हिस्सा मी-पुअहेरी पु० शिकारी भगना-स्त्री० महिला स्त्री. औरत महेतु-वि० निष्प्रयोजन पु० बेसबब । अ॥२-० आगका शोला पु० सवाद-० वृत्तान्त पु० हाल ससी-वि. अपना पु० निजी महेशान-न० कृतज्ञता स्त्री० एहसान संगी॥२-० स्वीकार पु० मंजूर महानिश-५० दिन-रात अ० अति-स्त्री. उँगली स्त्री• अंगुश्तः अणमामा-वि० अप्रिय पु. नापसन्द । भूछ।-० अंगोछा पु० सम-वि. अनर्गल पु० अंटसंट अपूर-स्त्री० हरा द्राक्ष पु० अंगूर सण-वि० दूर पु. अलग ही--स्त्री० सिगड़ी स्त्री० अंगीठी. भ७ ()-स्त्री० निर्धनता स्त्री० अघो-१० स्नान पु० गुस्ल गरीबी अय-स्त्री. जूठन स्त्री० तो- महावर पु० अल्ता मन-10 कज्जल पु० काजल २०१५-१० बातूनी पु० गप्पी मन-() स्त्री. हनुमान जी की माँ अ५४१५-स्त्री० हावभाव पु० नखरा स्त्री० For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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