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भ२४ ]
[पायु
१२०४-स्त्री० प्रार्थना स्त्री. अर्ज २०६५-५० प्रभात पु० फजर A२५सी-स्त्री. अडूसा पु. १२५३-१० ज्यों त्यों अ० जैसे तैसे अ२९५-१० जंगल पु.
सराय-वि० अरुचिकर वि० बेस्वाद १२५-४० अर्थ पु० मतलब अध्य-Y० पूजा स्त्री० इबादत १२६ास-स्त्री० दिनती स्त्री अर्ज
भर-श्री. प्रार्थना स्त्री० अर्ब अहि मेहरत-पुं० पारसी तृतीय मास मर-वि० उपार्जक वि. कमाऊ अरमान-स्त्री० न० मनोकामना स्त्री०
नव-Y० समुद्र पु० दहा दिसे तमया
अय- हेतु पु० सबब धन अरमा-स्त्री० समुद्री काफिला स्त्री. अविराम-10 (3) ऐसा चिह्न अस-वि० नीरोग वि० तन्दुरुस्त अ५५-न० भेंट स्त्री० बख्शीश अश्व-सि वि० युप
भ - मेघ पु० बादल; आखूपहाड़ स२वा-५० आत्मा स्त्री. रूह
भर-भु बालक पु० बच्चा सविह-न० कमल पु.
भाधान-वि० श्राधुचिक वि० मौजूदा २५२०२१-वि० आमने सामने वि. -पु. केशों की लटा स्त्री० चुटिया नजरोन्जर
मस-स्त्री. कुबेरकी नगरी स्त्री० २१२५२स-२०० परस्पर प्र० आपसम अक्षय-वि. कुलक्षणा वि० कुटेक २२सि-२ि० शुष्क हृदर वि. अम-वि० हाय वि० शोक २५२सो-० गद्दन स्त्री० अरसा असम-वि० मिन वि० जुदा मराम-न० छाप स्त्री० मोहर मसारी-वि० छैल छगीला पु०शौकीन अशति-पुं० शत्रु पु० दुश्मन सोल-नएक किस्मकी बाँसुरी अशा-० परिवार पु. कुनमा
श्री. अलगोजा मरि- वैरी पु० दुश्मन
-वि० निर्लज्ज वि० बेहया रिट-२० संकट पु० श्राफत एकवासव मनु-स० ० श्रालाप करना सर सरीही-स्त्री. रीठा पु०:
क्रि० रियाज़ करना मरीसा- दर्पण पु० शीशा
- फकीरकी अलफी स्त्री० मरुयतु-वि० अरविर वि० नापसन्द 3-4. निकम्मा वि० फालतू अरुथि-सी० प्रीलि स्त्री० मापसन्दगी अजमेनु-वि० रसिक वि. अलबेजाः
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