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अतिथि - पु० श्रभ्यागत पु० मेहमान अतिपात-पु० विनाश पु० बर्षादी
यतिमनुष्य - पु० अलौकिक पुरुष पु० व्यतिरे५-५०० अतिशयता स्त्री०जियादती अतिवृष्टि स्त्री० प्रतिवर्षा स्त्री० अतिशय - वि० अति (ती) सार - पु० संग्रहणी स्त्री० अंतिस्तुति - स्त्री० लल्लो चप्पो स्त्री०
1. अरमन्त पु० खूष
पथरा - स्त्री० अस्थिरता स्त्री० थर्यु प०
७
अथवा ० किंवा अ० या
व्यथा-वि
यथाशु न० यथावु - स०
[ हेपु
चढ़ना अ० क्रि०
" यथोल - वि० असन्तोष पु० बेसबुरी
खुशामद
स्थतीत वि० भूत पु० बीता हुआ रमतीव - वि० अत्यन्त पु० खूब भातोड- वि० श्रटूट पु०; मजबूत
सहक्ष - वि० अकुशल वि० भनन भोजन पु० ग्रिजा अना - वि० रंक पु० ग़रीब; मामूली - स्त्री० मर्यादा स्त्री० अदब अट्टम - वि० अद्भुत् वि० अजीब मध्य - वि० 10 क्रूर पु० बेरहम तोभ्रष्ट ततोभ्रष्ट - विन्न यहाँका रहना | महरस-पु० अदरक का रस पु० ० ०ि विवाह सगाई होना
न वहाँ का
अर्श - वि० अदृश्य पु० श्रोझल
तो- वि० अतुल पु० ज़ियादा अत्तर-५० इत्र पु० अत्तर - वि० उचित पु० वाक्षित्र अत्तरवडी - ० सम्प्रति श्र० इसी | अध-स्त्री० कटाक्ष पु० श्रदा वख़्त माता- वि० 10 कृपण पु० कंजूस अत्यंत वि० अतिमात्रा में वि० बहुत माप-५० दु:ख पु० तक़लीफ जियादा माया- वि० अनधिकार ० અત્યાગ્રહ-પુ हठ पु० जिह व्यत्यायार - पु० जुल्म पु० सितम
बेद्दक़
अत्यार - स्त्री० इस समय पु० इस बख़्त व्यथहारी - वि० पेटू पु०ज्यादा खानेवाला मथडावु महि० दौड़ धूप कराना अ० क्रि०
हार - वि० विधुर पु० रंड़ुवा महासत-स्त्री० 1० न्यायालय पु० कचहरी अदृश्य - वि० अदृष्ट पु० ओझल अहावत - स्त्री० वैर पु० दुश्मनी व्यहियो-५० भेंट [स्त्री० बख़्शीश
सहीह - (हु) वि० अदृष्ट पु० श्रोलसहीन- वि० तेजस्वी पु० रौनको
श्रमाद पु०
अचार पु० सुरब्बा ४ि० नमक या मसाला
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अस्थिर पु० मनकूला | अहेषु वि० अदृश्य पु० श्रोझल