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ढांड न० श्राच्छादन पु० ढक्कन; | ढीयवु - स०० हदसे अधिक पीस
संरक्षणा
सं०क्रि०
ढाड पिछोडे। - ५० दोष छिपानेका बहाना
ढीया - न० साढ़े चारका श्रंक पु० दुड्डु - वि० समीप वि० नज़दीक
पु०
ढांडवु - स०डी०
50 गुप्त रखना स०क्रि० -०० समीप जाना अ० क्रि० छिपाना नजदीक जाना
दूवा ५० टीबा पु०; झाड़ी
उटू अ- भ० श्रति समीप अ० जियादा नज़दीक
१०३
ढांड - वि० गुप्त वि०; ढँका हुआ; ढा४यु घीउयु - वि० चिन्तासे दुःखी वि० ढांदु-न० मृत पशु पु०;
१० मजबूत
ढांढा - ० बड़ा बैल पु• दीय - वि० दृढ़ वि० ढीम-पु० मोटा पत्थर पु० रोदा ढीमवु - स०ड० पीटना स०क्रि० ढीमन्यु - 1० जिद्दी लड़का पु० सिर ढीभडु ( ( ) - २० गांठ जैसी सूजन स्त्री० ढीमर - ५० धीवर पु० मच्छीमार
ढीभु-न० कड़ा फोड़ा पु० ढीस - स्त्री० विलम्ब स्त्री० देर
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ढी ४ - ५० अमुक वि० फलाँ दीव - ५० सुखी नदी या तालाब में पानीके लिए खोदा हुआ
दूढवु ५०० देना अ० क्रि० खोजना दृढियो-५० जैन धर्मका एक संप्रदाय पु० देसी स्त्री० टेकरी स्त्री०; छोटी गांठ 2891-y'. ̃zat at. देशदनियां-५० • ऊबड़ खाबड़ जमीन त्रो० टेट - स्त्री • सर-पच्ची स्त्री० मराजपच्ची दे।-५० उभरा हुधा हिस्सा पु० टोकरी देष्णो-५० ईंटका टुकड़ा पु० रोवा हेड, हेट-५०० एक अन्त्यज वर्ण पु० Est-il. gat matga ato
ढीसु - वि० शिथिल वि० डोला; हिम्मत हार ढेप्पई २० एक खाय पु०
ढीं - स्त्र० मुक्का पु० घूँसा
टेलडी - स्त्री० मयूरिन स्त्री० मोरनी ढेगी - वि० श्रालसी वि० सुस्त; अफीम की ढैयु - न० मिट्टीका बड़ा देता ढैये। - ५० स्तूप पु० ढेर; टेकरी ढोडणी - स्त्री० • एक खाद्य पु०
खड्डा पु०
ढीं है। पु० मुक्का पु० घूँसा ढीं यशु- ५० पैर का घुटना पु०
दीयलियु - वि० घुटने जितना ऊँचा वि० २- १० पशु पु० आनवर
ढोड न० एक खाद्य पु०
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ढोय न० सँकड़े मुँहका घड़ा ७०
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