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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६०० चपलावतंत्र. { अनुष्टुप् वक्त्रादि भेद. वर्णमेळ. ५३५ ३,३१,७७६ रूप बंधां मळीने थायछे एक (पेहेला) अक्षर पछी जेम न स वर्ज्य गणेला छे, तेम छंद शास्त्र अने वृत्तर करन नारायणभट्टी ठीकामां समपदमां रगणने पण वर्ज्य 'गण्यो छे. तेम गणतां पेहेला चरणनां २४ रूप थाय, अने बीजा 'चरणमा रगण वर्ज्य थवाथी बाकी ५ गण रहेछे, तेथी तेनां रूप २×१×१x२=२० थायचे, एटले २४x२०= ४८० रूप पूर्वार्द्धनां थाय, तेटलगंज उत्तरार्द्धनां धतां ४८०x४८०= २,३०,४०० रूप बधां मळीने थायछे तेमज पथ्यावक्त्र, विपरीत पथ्यावक्त्र अने चपलावक्त्र ए त्रणेना पण वक्त्रनीं पेठे ३, ३१, ७७६ भेद थायेछे. www.kobatirth.org विषम पदमा चोथा अक्षर पछी नगण आणवो. बाकी वक्त्र प्रमाणे. १. (ल के गं) १+३ ( स न विना)+नं+१ (ल के २. (ल के ग) २+३ ( स न विना ) + + ३. (ल के ग) १ + ३ ( स ४. (ल के ग) १+२ ( स (१) विषमे चार पर न, २०१ पथ्यावक्त्रः Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir { न विना ) + न + न (२) विना ) + + १ (ल के समे तो य करो एक (३) वक्त्र धारा अपर जे, (४) चपलामांह विवेक ८ गं) = १ (ल के ग) = ८ १ (ल के For Private And Personal Use Only ग) = ८ ग) = 2. विषम पदम वस्त्र प्रमाणे सम पदमां चोथा अक्षर पछी जगणं. १. (ल के ग) १+ ३ ( न स वर्ज्य ) + + १ (ल के ग) = ८ २. (ल के ग) १ + २ (नस वर्ज्य) +ज+१ (ल के ग)= ३. (ल के ग) १+३ (न स वर्ज्य) + + १ (ल के ४. (ल के गं) १+२ ( न स वर्ज्य) +ज+१ (ल के ग) = < ग) = ८ ४५
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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