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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असंकीर्ण. वर्णमेळ. (१.स भस स स न य=१२+९=२१रूप९,०५,५८८ २.स म भ भ म स ग-१०+९=१९रूप१,२६,३४० TE ) ३.नमन जय भसग=१४+८=२२ रूप९,९०,२०८ (४.म त य म स स ग-१०+९=१९रूप १,१३,७६७ प्रथमे सा पर भस सा स न या, रवि ने नव यति जाणी, रच खेंगारे बीजे चरणे, स म भा भ भ स ग आणी; तृतीय चरण न न न ज या भ स गा, चौदे वसु यति जेमां, मा त य भा सा स ग चोथे छे, दश नव छे यति एमां. कच्छाधिपति महाराव श्री खंगारजी सवाइ बहादुरना नामर्नु आ वृत्त नवु कल्प्युं छे. ते मराठी चालनी साखोना रागमां गवायछे. ____ "धीर समीरे यमुना तीरे वसति वने वनमाली" एवो गीतगोविंदनो राग छ तेमां गवायछे. "मधुवनचारिणि भास्करवाहिनि जाह्रविसंगिनि सिंधुसुते" ए प्रारंभर्नु यमुनाष्टक छे ते रागथी गवायछे. "आयि गिरिनदिनि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुते" भगवतीपुष्पांजली स्तोत्रनां ए आदि पद छे तेना रागमां पण गवायछे. तेमज चोपाया जाति जे पृ. ४६ अंक ११५ मे छे तेने रागे पण गवायछे. असंकीर्ण. ( १. त र ल ग%-८ नाराचिका. २९४ १९४ अहानिया. २. ज र ल ग%=( प्रमाणिका. २९५ ) ३.र ज ल ग श्रद्धरा,उद्धरा.३०६ ( ४. ज र ल ग%८ प्रमाणिका. २९५ ता रा ल गा अहानिगा, द्वितीयमा ज रा ल गा; छे तृतीय रा ज ल गा, चतुर्थमां ज रा ल गा. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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