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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकीर्ण. वर्णमेळ, Vvvvvvm पे'ले त जरा करो भले, बीजे मा स जागा पदे भळे; स स जा ग त्रीजे अगाधिका. चोथे पाद धरो म सा ज गा. (१. न भ र = ९ करशया. ३८८. १५३ विषकण्ठी.. २. स स ज ग =१० सहजा. ४६८ । ३. न न र ल ग-११ सुभद्रिका. ६०३ (४. स भ स ज ग=१३ रूप. २,८०४ प्रथम ना भ र थायछे, स स जा ग बीजे रचायछे न न र ल ग त्रौने पदे करो. विषकंठी स भ स ज गा युगे धरो. [१. स स य = ९ रूप. । २. न ज ज र =१२ मालती. ७३१ १५४ पंजी. ३. न न र ल ग =११ सुभद्रिका. ६०३ ( ४. न ज ज र ग=१३ मृगेन्द्रमुख. ८१५ स स या प्रथमे करो जो, .. न ज ज र पाद द्वितीय आणजो; न न र ल ग तृतीय जाणजो, न ज ज र गा थकी तुर्य पाद पंजी. छंदोलतामां आना चोथा पदनुं लक्षण उपर प्रमाणे छे पण तेमा उदाहरणमा रगण ने बदले मगण थइ गयो छे. १. न ज न ग =१० अमृतगति. अंक ४९६ १५५ उदया. २. स भ स = ९ अनवीरा. अंक ३९९ | ३. न न न ल ग-११ दमनक. अंक ६३७ .८४. म न न ग =१० रूप. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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