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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकीर्ग. वर्णमेळ. अई सम वृत्त. जेमां बे पदोनां सर्व लक्षण मळतां आवे एवंः एटले लुं अने त्रीजुं पाद (विषमपद) तेमन बीजं अने चोथु पाद (समपद) समान होय ते अईसमवृत्त केहवाय. एना बे भेदछे. १ संकीर्ण. २ असंकीर्ण. १ संकीर्ण एटले वर्णमां वधघट थवाथी विषमपाद करतां समपादनी वर्णसंख्या भिन्न रहे ते. २ असंकीर्ण एटले विषम तथा समपादना वर्ण सरखा होय पण गण भिन्न भिन्न होय ते. आ एक जातनी उपजाति पण केहवाय छे. .. असम, ओन, अयुग्म अयुग्मक, अने अयुज ए विषम एटले पहेला त्रीजा पदनां नाम छे. अनोज, युग्म, युग्मक, अने, युन ए सम एटले बीजा , चोथा पदनां नाम छे. संकीर्ण. विषम पदना ८ ने समना १० वर्ण होय तो तेनां कुल २,६२,१४४ रूप थायछे. १ आवृत्त. (१,३. स ज ग ग. =८ दिगीश. अंक. २८० । २,४. स स ज ग. = १० सहजा. अंक. ४६८ . विषमे स जा ग गा छै; स स जा ग समेज आवृत्ते. पाछळ समवृत्तना पेटामां अंक २८० मे दिगीश नामे वृत्त . छे, तेना माप प्रमाणे आ वृत्तनां विषम चरण (१,३).थायछे अने अंक ४६ ८ मे सहजा नामे वृत्त छे, तेना माप प्रमाणे आ For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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