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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वर्णदंडक वर्ण. ચંદ્ छंदःशाखना टिप्पणमां आनुं नाम त्रिभंगी छे, पण मात्रामेळ पृ. ५३ अंक १३४ मे त्रिभंगी छे, तेनी साथे भळी न जाय माटे अमे “वर्णत्रिभंगी" एवं नाम राख्युं छे. itsinळमां भ ने बदले स छे, लखपत जशसिन्धुमां पण तेमज छे; उदाहरणमां पण ते प्रमाणे छे. छंदोवृत्तमुक्तावलीमां द्वितीय ( बीजो) त्रिभंगी नाम आपी आमो कहेला गणो बताव्या छे, पण तेमां यति कही नथी. छंदःप्रभाकरमा यति नथी, अने गण आ प्रमाणे छे पण रूप नीचे प्रमाणे गोठव्युं छे: १५०८ हेलावली. www.kobatirth.org ६ न+सस भ म सग - ३४ वर्ण. न+ग+ १० र=३४ वर्ण. गण आणो पछी एक गा गोठवी ते पछी रा १० गणो आप आशा करो पाद हेलावलीमांह तो. जूओ अंक १४३३ नी टीप. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५०९ हेली. न+ल+ १० र=३४ वर्ण. नल पर थायछे रा दशे सामटा तेतणा अक्षरो सर्व चोत्रीश छे पाद हेलीत दंडके. १९१० चंडवेग. जुओ अंक १४३३ नी टीप. हेलावलीने बदले छंदोलतामां हेलीनाम आपी उपर प्रमाणे माप आप्युं छे, ते भिन्न होतां आ स्थाने दाखल करवामां आव्युं छे. ३६ वर्णना दंडक. न न+ ८ य+न न=३६ वर्ण. नन उपर घर या आठ आणी अने बे बने ना बधा वर्ण छत्रीश तो चंडवेंगे शुभ कविवर ! १ छंदोलतामां उपर प्रमाणे माप छे पण छंदोवृत्तमुक्तावलीमा २न+य (यथेच्छ ) लाववाकयुं छे ते उपर छेला व नगण लाववा क नथी, पण तेवों दंडक अंक १४३२ मे छ, माटे अमे छंदोलतानुं माप प्रमाण गण्युं छे. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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