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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्णदंडक. वर्णमेळ. १४५४ आलानिक. (वाग्वल्लभ) ननर+६य+ल=२८ वर्ण. ननर पर य छो ल अन्त आलानिके आणजो पादमां सर्व अठ्ठाविशे वर्ण. १४५५ रंगियो,वर्णरंगी. लघु गुरुनो नियम नथी, अंते ल ग. ९,७,७,५ यति. नव साते साते ने पांचे, एम यतिना वर्ण, अंते गुरु ने लघु, रंगिया विषे. १४५६ भगवता. (ग. प्र. प्र.) भनस+नभ+नभ+मय+ल. भा ज स परे न भ करे ज भ धरे भगवता विषे म य पूठे अन्त ला पाद. १४५७ अश्वघाटी. तभय+जसर+नतभ+लग. =२९ वर्ण. ता भा य छे, गण ज सा रा पछी, न त भ छे अश्वधार्टी पदमाहे लघु गुरु वेळी. १४५८ वसुधाधर. (छंदःप्रदीप) ९स+२ल=२९ वर्ण. स स सा स स सा स स सा धरिने लघु बे वसुधाधर दंडक माह सदा कर, १४५९ सौभाग्य. भन+ततत+सयय+नगल=२९ वर्ण. भाज पर छे त ता ता गणो सा य या छे न गेल पाद सौभाग्य माहे सुकविराय! गणप्रस्तारप्रकाश. १४६० वर्णक दंडक. २न+यं+लग=२९ वर्ण. द्वि न गण पर करो या बधा सात तो वर्णके दंडके पादमां अन्त ला गा धरी. भाषाछंदोमंजरीमां. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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