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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणावेगळ. ११ आ वृत्त अमारा नामथी नवुं रच्युं छे. शनो छ थायछे अने र नों ड. थायछे, एटले. रणछूड एम शब्द थयो तेमां उ नो ओ धतां रणछोड एम छेवटे थाय छे.. २११५१ शार्दूल १२, ६ यति म, स, ज, सर,म.. १०,०७३. बारे छे यति छेवटे म स जसा, राम शार्दूले तो.. १) शब्दकल्पद्रुम, वृत्तरत्नाकर अने छंदोमंजरीमां ए. प्रमाणे यति छे. ११५२ मंजीरा, मंजीर १९, ९ यति म, म, भ, म, स, म: १.२,६७३ ८ मंजीरामांहे खंडे यति, मामा भामसमा आणोजी. ११ ए नाम छंदः प्रभाकरमां छे, तेमां लक्षणमां यतिः कही नथी, पण उदाहरणमां उपर मुजब यति पाळी छे, २ मंजीरा नाम : वाग्वल्लभमां छे, पण तेमां तथा प्राकृतपिंगळसूत्र अने वाणीभूषणमां यति कही नथी, पण छंदः शास्त्रनुं टिप्पण, छंदः पारिजात, छंदोवृत्तमुक्तावली अते. पिंगळा दर्शमां उपर प्रमाणे यति छे. ११५३ चित्रलेखा १ ४, ७, ७यति २: म, न, न, त, त, म. १८९३७, • ४ ७. मानानात, तम युग हये छे, यति चित्रलेखामां २४१५४ परामोद १. १७ वर्णमां अंक १११६ मे आ नामनुं वृत्त छे: २ वृत्तरत्नाकर, छंदोमंजरी, अबे शब्दकल्पद्रुममा ए यति छे समवृत्तः य, स, स, ज, न, म.. ३१,४५०.. परामोद विषे यससाज नाम खचित आवेछे. न, न, म, न, न, म. ३२,३२०.. १११५५ विलुलितवनमाला. विलुलितवनमालामां नन मनन म आवेछे.. ११५६ सिंहविस्फूर्जित. ५, ६, ७ यति. म, म, भ, म, य, य. ३७,२४९ माम्भा माया. या पांचे पट साते, सिंहविस्फार्जते छे.. " वृत्तरत्नाकरना परिशिष्टमां आ नाम तथा यति छे, For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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